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E-Newsletter November-2018, Page 1 शामली जागरण -पिका Volume-29 01-11-2018 To 30-11-2018

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  • E-Newsletter November-2018, Page 1

    शामली जागरण

    ई-पत्रिका Volume-29

    01-11-2018 To 30-11-2018

  • E-Newsletter November-2018, Page 2

    शामली जागरण

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  • E-Newsletter November-2018, Page 3

    पाकक में महापुरुषों की मूर्तकयााँ

    शामली जागरण

  • E-Newsletter November-2018, Page 4

    नगर पाललका पररिद, शामली नवम्बर 2018 के ई-पत्रिका शामली जागरण में स्वागत है | नवम्बर माह में हुये षवकास कायो को ई-पत्रिका शामली जागरण के माध्यम से आपसब तक पहुुँचाना चाहत ेहैं | शामली नगर पाललका प्रत्येक माह ई-पत्रिका शामली जागरण के द्वारा नगर पाललका में हुये षवकास कायो को आपसब के सामने लान ेका प्रयास करता है | जजससे शामली नगर पाललका पररिद के षवकास और नई योजनाओं से लाभाजववत हो सके | नगर पाललका पररिद शामली का एक माि उद्देश्य नगर पाललका का षवकास है | जजसमे त्रबना ककसी भेद-भाव, सभी समदुायों के लोगो को एकसाथ लेकर आगे बढने का उदे्दश्य है | जजसके ललए नगर पाललका पररिद के ननवालसयों को इसमें सहयोग महत्वपणूण है | और नगर पाललका इसका उम्मीद करता है | नगरवालसयों से अपील है की नगर को स्वच्छ और सवुदर बनाने में नगर पाललका की मदद करे | अपने आस-पास साफ-सथुरा रखे | कूड़ा-कचरा डस्टत्रबन में रखे,गवदगी न फैलाये | आने वाले कल अच्छा हो इसके ललये आज बेहतर बनायें |

    शामली जागरण

    श्री सरुेंद्र लसहं श्रीमती अजंना बंसल ( अधिशाषी अधिकारी ) ( अध्यक्ष )

  • E-Newsletter November-2018, Page 5

    I am happy to present the November 2018 issue to all of you. A number of pro-

    jects have been commissioned in the month of November. The former will help

    smoothen the flow of traffic, reduce the travel time of citizens, ease the conges-

    tion and reduce pollution on nagar road. There have been a lot of lessons to

    learned and these insights will certainly stand in good stead with us in our en-

    deavors in future. The one thing that stands out is the most active participation of

    citizens. We, the residence of the Nagar Palika Parishad Shamli respective of ag-

    es, castes, creeds, religions, localities have untidily participated in creation of

    Shamli’s Swachh Nagar Palika Parishad proposal. As I look into the future with

    great expectation, it is this one aspect of the municipality which gives me the

    greatest hope. We in the Nagar Palika Parishad Shamli, would be very happy to

    receive your feedbacks on all matters that you feel are important.

    शामली जागरण

    Mr. Surendra Singh (Executive Officer)

  • E-Newsletter November-2018, Page 6

    I am delighted to present the tasks and issue of Shamli Nagar Palika by E-

    Patrika Shamli Jagaran in November 2018. Nagar Palika Parishad Shamli is

    grateful to the citizens who displayed tremendous enthusiasm and whole

    heartedly participated in numerous activities throughout this period. All of us

    should bear in mind that this is not end but a beginning of the exercise

    pertaining to development and Swachh Mission program. The coming years

    will surely be very hectic and eventful. Shamli promises to leave no room for

    complacency and will work even harder to achieve the targets. We solicit active

    participation from the citizens in our endeavor. We sincerely believe that

    decisions taken by Nagar Palika Parishad Shamli should benefit Nagar Palika

    Parishad Shamli and the citizens in the ultimate analysis. Many projects process

    in work in Nagar Palika Parishad Shamli for development our Nagar Palika and

    citizens. Thanks to all citizens of Nagar Palika Parishad Shamli for supporting

    to develop Shamli.

    शामली जागरण

    Nagar Palika Parishad Shamli

  • E-Newsletter November-2018, Page 7

    दीवाली की हार्दकक शुभकामनायें ! भारत में र्हन्दओुं द्वारा मनाया जाने वाला सबसे बडा त्योहार है। दीपों का खास पवक होने के कारण इस ेदीपावली या र्दवाली नाम र्दया गया। दीपावली का मतलब होता है, दीपों की अवली यार्न पंक्तत। इस प्रकार दीपों की पंक्ततयों से सुसक््ज त इस त्योहार को दीपावली कहा जाता है। इस र्दन ल्मी के पूजन का ववशषे वविान है। रात्रि के समय प्रत्येक घर में िनिान्य की अधिष्ठािी देवी महाल्मीजी,ववघ्न-ववनाशक गणेश जी और ववद्या एवं कला की देवी मातेश्वरी सरस्वती देवी की पूजा-आरािना की जाती है। ब्रह्मपुराण के अनुसार कार्तकक अमावस्या की इस अिेंरी रात्रि अर्ाकत अिकरात्रि में महाल्मी स्वयं भूलोक में आती हैं और प्रत्येक सद्गहृस्र् के घर में ववचरण करती हैं। जो घर हर प्रकार से स्वच्छ, शुद्ध और सुंदर तरीके से सुसक््जत और प्रकाशयुतत होता है वहां अशं रूप में ठहर जाती हैं और गंदे स्र्ानों की तरफ देखती भी नहीं। इसललए इस र्दन घर-बाहर को खबू साफ-सुर्रा करके सजाया-संवारा जाता है। कहा जाता है कक दीपावली मनाने से ल्मीजी प्रसन्न होकर स्र्ायी रूप से सदगहृस्र्ों के घर र्नवास करती हैं। त्योहारों का जो वातावरण िनतेरस से प्रारम्भ होता है,वह इस र्दन पूरे चरम पर आता है। यह पवक अलग-अलग नाम और वविानों से पूरी दरु्नया में मनाया जाता है। इसका एक कारण यह भी कक इसी र्दन अनेक ववजयश्री युतत कायक हुए हैं। बहुत से शुभ कायों का प्रारम्भ भी इसी र्दन से माना गया है। इसी र्दन उ्जैन के सम्राट ववक्रमार्दत्य का राजर्तलक हुआ र्ा। ववक्रम संवत का आरंभ भी इसी र्दन स ेमाना जाता है। यानी यह नए वषक का प्रर्म र्दन भी है। इसी र्दन व्यापारी अपने बही-खाते बदलते हैं तर्ा लाभ-हार्न का ब्यौरा तैयार करते हैं। हर प्रातं या क्षेि में दीवाली मनाने के कारण एवं तरीके अलग हैं पर सभी जगह कई पीऱ्ियों से यह त्योहार चला आ रहा है। लोगों में दीवाली की बहुत उमंग होती है। लोग अपन ेघरों का कोना-कोना साफ करते हैं, नये कपड ेपहनते हैं। लमठाइयों के उपहार एक दसूरे को बांटते हैं,एक दसूरे से लमलते हैं। घर-घर में सुन्दर रंगोली बनाई जाती है, र्दये जलाए जाते हैं और आर्तशबाजी की जाती है। बड ेछोटे सभी इस त्योहार में भाग लेते हैं। यह पवक सामूर्हक व व्यक्ततगत दोनों तरह से मनाए जाने वाला ऐसा ववलशष्ट पवक है जो िालमकक,सांस्कृर्तक व सामाक्जक ववलशष्टता रखता है। अिंकार पर प्रकाश की ववजय का यह पवक समाज में उल्लास, भाईचारे व प्रेम का संदेश फैलाता है।

  • E-Newsletter November-2018, Page 8

    गोविकन पूजा

    गोविकन पूजा को दीवाली के अगले र्दन बाद मनाया जाता है। गोविकन पूजा पंजाब, हररयाना, उत् तर प्रदेश और त्रबहार में काफी प्रलसद्ध है। परंपरा के अनुसार इस र्दन खास तौर पर गाय के गोबर से गोविकन पहाड बनाया जाता है, क्जसे गोविकन पहाड के नाम से जाना जाता है। गोविकन पूजा को अन्नकूट पूजा के नाम से भी जाना जाता है। इस र्दन घरों में गाय के गोबर से गोविकननार् जी की छवव बनाकर उनका पूजन ककया जाता है तर्ा अन्नकूट का भोग लगाया जाता है। यह परंपरा द्वापर युग से चली आ रही है। श्रीमद्भागवत में इस बारे में कई स्र्ानों पर उल्लेख प्राप्त होत ेहैं। उसके अनुसार भगवान कृष्ण ने ब्रज में इंद्र की पूजा के स्र्ान पर कार्तकक शुतल प्रर्तपदा के र्दन गोविकन पवकत की पूजा आरंभ करवाई र्ी। इस संबंि में एक लोकवप्रय कर्ा है। कर्ानुसार भगवान श्री कृष्ण ने इंद्र का अलभमान चूर करने के ललए गोविकन पवकत को अपनी छोटी उंगली पर उठाकर संपूणक गोकूल वालसयों की इंद्र के कोप से रक्षा की र्ी। जब इन् द्र का अलभमान चूर हो गया तब उन् होने श्री कृष् ण से क्षमा मांगी। सात र्दन बाद श्री कृष्ण ने गोविकन पवकत नीचे रखा और ब्रजबालसयों को प्रर्तवषक गोविकन पूजा और अन्नकूट पवक मनाने को कहा। तभी से यह पवक मनाया जाता है।

  • E-Newsletter November-2018, Page 9

    भाई दजू भाई दजू का त्योहार भाई बहन के स्नेह को सदृृढ करता है । यह त्योहार र्दवाली के दो र्दन बाद मनाया जाता है। र्हन्द ूिमक में भाई-बहन के स्नेह-प्रर्तक त्योहार मनाये जाते है-एक रक्षाबंिन जो श्रावण मास की पूर्णकमा को मनाया जाता है । इसमें भाई बहन रक्षा की प्रर्तज्ञा करता है । दसूरा त्योहार ' भाई दजू ' का होता है इसमें बहन भाई की लम्बी आयु की प्रार्कना करती है । भाई दजू का त्योहार कार्तकक मास की दवु्तीय को मनाया जाता है ।

    भाई दजू व्रत कर्ा :- छाया भगवान सूयकदेव की पत्नी हैं क्जनकी दो संतान हुई यमराज तर्ा यमुना. यमुना अपने भाई यमराज से बहुत स्नेह करती र्ी. वह उनसे सदा यह र्नवेदन करती र्ी वे उनके घर आकर भोजन करें. लेककन यमराज अपने काम में व्यस्त रहने के कारण यमुना की बात को टाल जाते रे्। एक बार कार्तकक शुतल द्ववतीया को यमुना ने अपने भाई यमराज को भोजन करने के ललए बुलाया तो यमराज मना न कर सके और बहन के घर चल पड।े रास्ते में यमराज ने नरक में रहनेवाले जीवों को मुतत कर र्दया। भाई को देखते ही यमुना ने बहुत हवषकत हुई और भाई का स्वागत सत्कार ककया। यमुना के प्रेम भरा भोजन ग्रहण करने के बाद प्रसन्न होकर यमराज ने बहन से कुछ मांगने को कहा। यमुना ने उनसे मांगा कक- आप प्रर्तवषक इस र्दन मेरे यहां भोजन करने आएंगे और इस र्दन जो भाई अपनी बहन से लमलेगा और बहन अपने भाई को टीका करके भोजन कराएगी उसे आपका डर न रहे। यमराज ने यमुना की बात मानते हुए तर्ास्तु कहा और यमलोक चले गए। तभी से यह यह मान्यता चली आ रही है कक कार्तकक शुतल द्ववतीय को जो भाई अपनी बहन का आर्तथ्य स्वीकार करते हैं उन्हें यमराज का भय नहीं रहता ।

  • E-Newsletter November-2018, Page 10

    गरुु नानक जयंती की हार्दकक शुभकामनाएाँ ! श्री गुरु नानक देव जी का जन्म 15 अप्रैल,1469 में गााँव तलवंडी, शइेखपुुरा डडक्स्ितट में हुआ जो की लाहौर पाककस्तान से 65 KM पक्श्चम में क्स्तर् है। उनके वपता बाबा कालूचदं्र बेदी और माता त्रिपता नें उनका नाम नानक रखा। उनके वपता गााँव में स्र्ानीय राजस्व प्रशासन के अधिकारी रे्। अपने बाल्य काल में श्री गुरु नानक जी नें कई प्रादेलशक भाषाएाँ लसखा जैसे फारसी और अरबी। उनका वववाह वषक 1487 में हुआ और उनके दो पुि भी हुए एक वषक 1491 में और दसूरा 1496 में हुआ। वषक 1485 में अपने भैया और भाभी के कहने पर उन्होंने दौलत खान लोिी के स्टोर में अधिकारी के रूप में र्नकुक्तत ली जो की सुल्तानपुर में मुसलमानों का शासक र्ा। वही पर उनकी मुलाकात एक मुक्स्लम कवी के सार् हुई क्जसका नाम र्ा लमरासी। वषक 1496 में उन्होंने अपना पहला भववष्यवाणी ककया – क्जसमें उन्होंने कहा कक “कोई भी र्हन्द ूनहीं और ना ही कोई मुस्लमान है” और कहा कक यह एक महत्वपूणक घोषणा है जो ना लसफक आदमी के भाईचारा और परमेश्वर के वपततृ्व की घोषणा है, बक्ल्क यह भी स्पष्ट है की मनुष्य की प्रार्लमक रूधच ककसी भी प्रकार के अध्याक्त्मक लसिांत में नहीं है, वह तो मनुष्य और उसके ककस्मत में हैं। इसका मतलब है अपने पडोसी से अपने क्जतना प्यार करो। गुरु नानक जी नें अपने लमशन की शुरुवात मरदाना के सार् लमल के ककया। अपने इस सन्देश के सार् सार् उन्होंने कमज़ोर लोगों के मदद के ललए ज़ोरदार प्रचार ककया उन्होंने अपने लसद्धांतो और र्नयमों के प्रचार के ललए अपने घर तक को छोड र्दया और एक सन्यासी के रूप में रहने लगे। उन्होंने र्हन्द ूऔर मुस्लमान दोनों िमों के ववचारों को सक्म्मललत करके एक नए िमक की स्र्ापना की जो बाद में लसख िमक के नाम से जाना गया। भारत में अपने ज्ञान के प्रसार के ललए कई र्हन्द ूऔर मुक्श्लम िमक की जगहों का भ्रमण ककया। पुरे भारत में अपने ज्ञान को बााँटने के पश्चात उन्होंने मतका मदीना की भी यािा की और वहां भी लोग उनके ववचारों और बातों से अत्यंत प्रभाववत हुए। क्जस जगह पर गुरु नानक जी नें उन गरीब और संत व्यक्ततयों को भोजन र्खलाया र्ा वहां सच्चा सौदा नाम का गुरुद्वारा बनाया गया है। आर्खर में अपनी 25 वषक की यािा के बाद श्री गुरु नानक देव जी करतारपुर, पंजाब के एक गााँव में ककसान के रूप में रहने लगे और बाद में उनकी मतृ्यु भी वही हुई। भाई गुरुदास क्जनका जन्म गुरु नानक के मतृ्यु के 12 वषक बाद हुआ बचपन से ही लसख लमशन से जुड गए। उन्हें लसख गुरुओं का प्रमुख चनुा गया। उन्होंने लसख समुदाय जगह-जगह पर बनाया और अपने बैठक के ललए सभा बनाया क्जन्हें िरमशाला के नाम से जाना जाता है। आज के र्दन में िरमशालाओं में लसख समुदाय गरीब लोगों के ललए खाना देता है।

  • E-Newsletter November-2018, Page 11

    बाल र्दवस की हार्दकक बिाई ! पंडडत जवाहर लाल नेहरू का जवम 14 नवंबर 1889 को इलाहबाद में हुआ था। उनके जवमददन को बाल ददवस के रूप में मनाया जाता है। नेहरू जी का बच्चों से बड़ा स्नेह था और वे बच्चों को देश का भावी ननमाणता मानत ेथे। बच्चों के प्रनत उनके इस स्नेह भाव के कारण बच्च ेभी उनसे बेहद लगाव और पे्रम रखत ेथे और उवहें चाचा नेहरू कहकर पकुारत ेथे। यही कारण है कक नेहरू जी के जवमददन को बाल ददवस के रूप में मनाया जाता है। इसे नेहरू जयंती कहें या कफर बाल ददवस, यह ददन पणूणत: बच्चों के ललए समषपणत है। इस ददन षवशिे रूप से बच्चों के ललए कायणक्रम एवं खेल-कूद से जूड़ ेआयोजन होत ेहैं। बच्च ेदेश का भषवष्य हैं, वे ऐसे बीज के समान हैं जजवहें ददया गया पोिण उनके षवकास और गुणवत्ता ननर्ाणररत करेगा। यही कारण है कक इस ददन बच्चों से जुड़ ेषवलभवन मदु्दों जैसे लशक्षा, संस्कार, उनकी सेहत, मानलसक और शारीररक षवकास हेतु जरूरी षवियों पर षवचार षवमशण ककया जाता है। कई स्कूलों व संस्थानों में बाल मेला एवं प्रनतयोगगताएं भी आयोजजत की जाती हैं, ताकक बच्चों की क्षमता और प्रनतभा को और बढावा लमले। इस ददन षवशिे रूप से गरीब बच्चों को मलूभतू सषुवर्ाएं महैुया कराने एवं बाल श्रमृ एवं बाल शोिण जैसे गंभीर मदु्दों पर भी षवचार षवमशण ककया जाता है। बच्च ेनाजुक मन के होते हैं और हर छोटी चीज या बात उनके ददमाग पर असर डालती है। उनका आज, देश के आन ेवाले कल के ललए बेहद महत्वपणूण है। इसललए उनके कक्रयाकलापों, उवहें ददए जाने वाले ज्ञान और संस्कारों पर षवशिे रूप से ध्यान ददया जाना चादहए। इसके साथ ही बच्चों की मानलसक और शारीररक सेहत का ख्याल रखना भी बेहद जरूरी है। बच्चों को सही लशक्षा, पोिण, संस्कार लमले य ह देशदहत के ललए बेहद अहम है, ्योंकक आज के बच्च ेही कल का भषवष्य है।

  • E-Newsletter November-2018, Page 12

    स्वच्छ भारत लमशन के अन्तगकत खुले मे शौच से मुक्तत के सम्बन्ि में जागरूकता हेतु एक मालमकक अपील

    जागो युवा जागो स्वच्छ भारत है तुम्हारा अधिकार लेककन पहले उठाओं पहले कतकव्य का भार ***************************************************

    जब होगी हर डगर, हर गली साफ | तो ही पूरी होगी स्वच्छ भारत की आस ||

    ************************************************** हर गााँव हर शहर होगा जब साफ | तभी हो पाएगा देश का सही ववकास ||

    ************************************************** स्वच्छ भारत अलभयान है एक आस |

    ताकक हो भारत देश का सम्पूणक ववकास || **************************************************

    स्वच्छता ही है एक माि उपाए | जो सभी को हमेशा स्वस्थ्य बनाए ||

    ***************************************************

    स्वच्छता है महा अलभयान |

    स्वछता म ेदीक्जए अपना योगदान || ***************************************************

    हार् से हार् लमलाना है गंदगी नहीं फैलाना है

    स्वच्छता को अपनाना है ***************************************************

    स्वच्छ भारत लमशन शामली

    श्री सरुेंद्र लसहं श्रीमती अजंना बंसल (अधिशाषी अधिकारी) ( अध्यक्ष )

  • E-Newsletter November-2018, Page 13

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    Tel/Fax : 01204349756

    शामली जागरण