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E-Newsletter October-2017, Page 1 शामली जागरण -पिका 01-10-2017 To 31-10-2017 Volume-16

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  • E-Newsletter October-2017, Page 1

    शामली जागरण ई-पत्रिका

    01-10-2017 To 31-10-2017

    Volume-16

  • E-Newsletter October-2017, Page 2

    शामली जागरण

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  • E-Newsletter October-2017, Page 3

    शामली जागरण

    पाकक में महापुरुषों की मूर्तकयााँ

  • E-Newsletter October-2017, Page 4

    नगर पाललका पररिद, शामली अक्टूबर 2017 के ई-पत्रिका शामली जागरण में स्वागत है | अक्टूबर माह में हुये षवकास कायो को ई-पत्रिका शामली जागरण के माध्यम से आपसब तक पहुुँचाना चाहत ेहैं | शामली नगर पाललका प्रत्येक माह ई-पत्रिका शामली जागरण के द्वारा नगर पाललका में हुये षवकास कायो को आपसब के सामने लान ेका प्रयास करता है | जजससे शामली नगर पाललका पररिद के षवकास और नई योजनाओं से लाभाजववत हो सके | नगर पाललका पररिद शामली का एक माि उद्देश्य नगर पाललका का षवकास है | जजसमे त्रबना ककसी भेद-भाव, सभी समदुायों के लोगो को एकसाथ लेकर आगे बढने का उदे्दश्य है | जजसके ललए नगर पाललका पररिद के ननवालसयों को इसमें सहयोग महत्वपणूण है | और नगर पाललका इसका उम्मीद करता है | नगरवालसयों से अपील है की नगर को स्वच्छ और सवुदर बनाने में नगर पाललका की मदद करे | अपने आस-पास साफ-सथुरा रखे | कूड़ा-कचरा डस्टत्रबन में रखे,गवदगी न फैलाये | आने वाले कल अच्छा हो इसके ललये आज बेहतर बनायें |

    श्री लालचन्द्र भारती ( अधिशाषी अधिकारी )

    शामली जागरण

  • E-Newsletter October-2017, Page 5

    I am happy to present the October 2017 issue to all of you. A number of

    projects have been commissioned in the month of October. The former will

    help smoothen the flow of traffic, reduce the travel time of citizens, ease the

    congestion and reduce pollution on nagar road. There have been a lot of lessons

    to learned and these insights will certainly stand in good stead with us in our

    endeavors in future. The one thing that stands out is the most active

    participation of citizens. We, the residence of the Nagar Palika Parishad Shamli

    respective of ages, castes, creeds, religions, localities have untidily participated

    in creation of Shamli’s Swachh Nagar Palika Parishad proposal. As I look into

    the future with great expectation, it is this one aspect of the municipality which

    gives me the greatest hope. We in the Nagar Palika Parishad Shamli, would be

    very happy to receive your feedbacks on all matters that you feel are important.

    Mr. Lal Chand Bharati (Executive Officer)

    शामली जागरण

  • E-Newsletter October-2017, Page 6

    I am delighted to present the tasks and issue of Shamli Nagar Palika by E-

    Patrika Shamli Jagaran in October 2017. Nagar Palika Parishad Shamli is

    grateful to the citizens who displayed tremendous enthusiasm and whole

    heartedly participated in numerous activities throughout this period. All of us

    should bear in mind that this is not end but a beginning of the exercise

    pertaining to development and Swachh Mission program. The coming years

    will surely be very hectic and eventful. Shamli promises to leave no room for

    complacency and will work even harder to achieve the targets. We solicit active

    participation from the citizens in our endeavor. We sincerely believe that

    decisions taken by Nagar Palika Parishad Shamli should benefit Nagar Palika

    Parishad Shamli and the citizens in the ultimate analysis. Many projects process

    in work in Nagar Palika Parishad Shamli for development our Nagar Palika and

    citizens. Thanks to all citizens of Nagar Palika Parishad Shamli for supporting

    to develop Shamli.

    शामली जागरण

  • E-Newsletter October-2017, Page 7

    2 अक्टूबर महात्मा गााँिी जयंती ! एक ही दिवस पर िो ववभूर्तयों ने भारत माता को गौरवान्न्द्वत ककया । गााँिी जी एवं लाल बहािरू शास्त्िी जैसी अिभुत प्रर्तभाओ का 2 अक्टूबर को अवतरण हम सभी के ललये हषक का ववषय है। सत्य और अदहसंा के बल पर अगें्रजों से भारत को स्त्वतंि करा करके हम सभी को स्त्वतंि भारत का अनमोल उपहार िेने वाले महापुरूष गााँिी जी को राष्ट्र ने राष्ट्रवपता के रूप में समान्न्द्नत ककया। वहीं जय जवान, जय ककसान का नारा िेकर भारत के िो आिार स्त्तंभ को महान कहने वाले महापुरूष लाल बहािरु शास्त्िी जी ने स्त्वतंि भारत के िसूरे प्रिान मंिी के रूप में राष्ट्र को ववश्वपटल पर उच्चकोटी की पहचान दिलाई। आज इस लेख में मैं आपके साथ राष्ट्र वपता महात्मा गााँिी से सम्बंधित कुछ रोचक बातें साझा करने का प्रयास करुाँगी| राष्ट्रवपता महात्मा ग़ांिी अथाकत मोहन िास करमचिं ग़ांिी का जन्द्म 2 अक्टूबर, 1869 को गुजरात के कादियावाड़ प्रान्द्त में पोरबंिर नमक स्त्थान पर हुआ था | महात्मा ग़ांिी के इस जन्द्म-दिवस को समूचा राष्ट्र एक एक राष्ट्रीय पवक के तौर पर मनाता है | गांिीजी के वपता करमचिं गांिी राजकोट के िीवान थे। इनकी माता का नाम पुतलीबाई था। वह िालमकक ववचारों वाली थी। उन्द् होंने हमेशा सत् य और अदहसंा के ललए आंिोलन चलाए। गांिीजी वकालत की लश्ा प्रा् त करने के ललए इं् लैंड भी गए थे। वहां से लौटने के बाि उन्द् होंने बंबई में वकालत शुरू की। महात् मा गांिी सत् य और अदहसंा के पुजारी थे। एक बार गांिीजी मुकिमे की पैरवी के ललए िक्ष्ण अ रीका भी गए थे। वह अगें्रजों रावारा भारतीयों पर अत् याचार िेख बहुत िखुी हुए। उन्द् होंने डांडी यािा भी की। वह कई बार जेल गए। अब सारा िेश उनके साथ था। लोग उन्द्हें राष्ट्रवपता कहने लगे। अतं में भारत को 1947 में स्त्वतंिता प्रा्त हुई। गांिीजी सािा जीवन त्रबताते थे। उन्द्होंने हमको अदहसंा का पाि पढाया। वह एक समाजसुिारक थे। उन्द्होंने छुआ-छूत को िरू करने का प्रत्यन ककया। 30 जनवरी, 1948 को गोली मारकर उनकी हत्या कर िी गयी। महात्मा गााँिी के पूवक भी शान्न्द्त और अदहसंा की अविारणा फललत थी, परन्द्तु उन्द्होंने न्जस प्रकार सत्याग्रह, शान्न्द्त व अदहसंा के रास्त्तों पर चलते हुये अगें्रजों को भारत छोड़ने पर मजबूर ककया, उसका कोई िसूरा उिाहरण ववश्व इर्तहास में िेखने को नहीं लमलता। तभी तो प्रख्यात वैज्ञार्नक आइंस्त्टीन ने कहा था कक -‘‘हजार साल बाि आने वाली नस्त्लें इस बात पर मुन्श्कल से ववश्वास करेंगी कक हाड़-मांस से बना ऐसा कोई इन्द्सान िरती पर कभी आया था।’’ 2 अक्टूबर को अतंरराष्ट्रीय स्त्तर पर अतंरराष्ट्रीय अदहसंा दिवस के रुप में भी मनाया जाता है क्योंकक अपने पूरे जीवन भर वह अदहसंा के उपिेशक रहे। 15 जून 2007 को संयुक्त राष्ट्र सामान्द्य सभा रावारा 2 अक्टूबर को अतंरराष्ट्ररीय अदहसंा दिवस के रुप में घोवषत ककया गया है।

  • E-Newsletter October-2017, Page 8

    िीवाली की हादिकक शुभकामनायें ! भारत में दहन्द्िओुं रावारा मनाया जाने वाला सबसे बड़ा त्योहार है। िीपों का खास पवक होने के कारण इस ेिीपावली या दिवाली नाम दिया गया। िीपावली का मतलब होता है, िीपों की अवली यार्न पंन्क्त। इस प्रकार िीपों की पंन्क्तयों से सुसन््ज त इस त्योहार को िीपावली कहा जाता है। इस दिन ल्मी के पूजन का ववशषे वविान है। रात्रि के समय प्रत्येक घर में िनिान्द्य की अधिष्ट्िािी िेवी महाल्मीजी,ववघ्न-ववनाशक गणेश जी और ववराया एवं कला की िेवी मातेश्वरी सरस्त्वती िेवी की पूजा-आरािना की जाती है। ब्रह्मपुराण के अनुसार कार्तकक अमावस्त्या की इस अिेंरी रात्रि अथाकत अिकरात्रि में महाल्मी स्त्वयं भूलोक में आती हैं और प्रत्येक सरागहृस्त्थ के घर में ववचरण करती हैं। जो घर हर प्रकार से स्त्वच्छ, शुद्ध और सुंिर तरीके से सुसन््जत और प्रकाशयुक्त होता है वहां अशं रूप में िहर जाती हैं और गंिे स्त्थानों की तरफ िेखती भी नहीं। इसललए इस दिन घर-बाहर को खबू साफ-सुथरा करके सजाया-संवारा जाता है। कहा जाता है कक िीपावली मनाने से ल्मीजी प्रसन्द्न होकर स्त्थायी रूप से सिगहृस्त्थों के घर र्नवास करती हैं। त्योहारों का जो वातावरण िनतेरस से प्रारम्भ होता है,वह इस दिन पूरे चरम पर आता है। यह पवक अलग-अलग नाम और वविानों से पूरी िरु्नया में मनाया जाता है। इसका एक कारण यह भी कक इसी दिन अनेक ववजयश्री युक्त कायक हुए हैं। बहुत से शुभ कायों का प्रारम्भ भी इसी दिन से माना गया है। इसी दिन उ्जैन के सम्राट ववक्रमादित्य का राजर्तलक हुआ था। ववक्रम संवत का आरंभ भी इसी दिन स ेमाना जाता है। यानी यह नए वषक का प्रथम दिन भी है। इसी दिन व्यापारी अपने बही-खाते बिलते हैं तथा लाभ-हार्न का ब्यौरा तैयार करते हैं। हर प्रातं या ्ेि में िीवाली मनाने के कारण एवं तरीके अलग हैं पर सभी जगह कई पीद़ियों से यह त्योहार चला आ रहा है। लोगों में िीवाली की बहुत उमंग होती है। लोग अपन ेघरों का कोना-कोना साफ करते हैं, नये कपड़ ेपहनते हैं। लमिाइयों के उपहार एक िसूरे को बांटते हैं,एक िसूरे से लमलते हैं। घर-घर में सुन्द्िर रंगोली बनाई जाती है, दिये जलाए जाते हैं और आर्तशबाजी की जाती है। बड़ ेछोटे सभी इस त्योहार में भाग लेते हैं। यह पवक सामूदहक व व्यन्क्तगत िोनों तरह से मनाए जाने वाला ऐसा ववलशष्ट्ट पवक है जो िालमकक,सांस्त्कृर्तक व सामान्जक ववलशष्ट्टता रखता है। अिंकार पर प्रकाश की ववजय का यह पवक समाज में उल्लास, भाईचारे व प्रेम का संिेश फैलाता है।

  • E-Newsletter October-2017, Page 9

    गोविकन पूजा

    गोविकन पूजा को िीवाली के अगले दिन बाि मनाया जाता है। गोविकन पूजा पंजाब, हररयाना, उत् तर प्रिेश और त्रबहार में काफी प्रलसद्ध है। परंपरा के अनुसार इस दिन खास तौर पर गाय के गोबर से गोविकन पहाड़ बनाया जाता है, न्जसे गोविकन पहाड़ के नाम से जाना जाता है। गोविकन पूजा को अन्द्नकूट पूजा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन घरों में गाय के गोबर से गोविकननाथ जी की छवव बनाकर उनका पूजन ककया जाता है तथा अन्द्नकूट का भोग लगाया जाता है। यह परंपरा रावापर युग से चली आ रही है। श्रीमद्भागवत में इस बारे में कई स्त्थानों पर उल्लेख प्रा्त होत ेहैं। उसके अनुसार भगवान कृष्ट्ण ने ब्रज में इंर की पूजा के स्त्थान पर कार्तकक शुक्ल प्रर्तपिा के दिन गोविकन पवकत की पूजा आरंभ करवाई थी। इस संबंि में एक लोकवप्रय कथा है। कथानुसार भगवान श्री कृष्ट्ण ने इंर का अलभमान चूर करने के ललए गोविकन पवकत को अपनी छोटी उंगली पर उिाकर संपूणक गोकूल वालसयों की इंर के कोप से र्ा की थी। जब इन्द् र का अलभमान चूर हो गया तब उन्द् होने श्री कृष्ट् ण से ्मा मांगी। सात दिन बाि श्री कृष्ट्ण ने गोविकन पवकत नीचे रखा और ब्रजबालसयों को प्रर्तवषक गोविकन पूजा और अन्द्नकूट पवक मनाने को कहा। तभी से यह पवक मनाया जाता है।

  • E-Newsletter October-2017, Page 10

    भाई िजू भाई िजू का त्योहार भाई बहन के स्त्नेह को सदृृढ करता है । यह त्योहार दिवाली के िो दिन बाि मनाया जाता है। दहन्द्ि ूिमक में भाई-बहन के स्त्नेह-प्रर्तक त्योहार मनाये जाते है-एक र्ाबंिन जो श्रावण मास की पूर्णकमा को मनाया जाता है । इसमें भाई बहन र्ा की प्रर्तज्ञा करता है । िसूरा त्योहार ' भाई िजू ' का होता है इसमें बहन भाई की लम्बी आयु की प्राथकना करती है । भाई िजू का त्योहार कार्तकक मास की िवु्तीय को मनाया जाता है ।

    भाई िजू व्रत कथा :- छाया भगवान सूयकिेव की पत्नी हैं न्जनकी िो संतान हुई यमराज तथा यमुना. यमुना अपने भाई यमराज से बहुत स्त्नेह करती थी. वह उनसे सिा यह र्नवेिन करती थी वे उनके घर आकर भोजन करें. लेककन यमराज अपने काम में व्यस्त्त रहने के कारण यमुना की बात को टाल जाते थे। एक बार कार्तकक शुक्ल राववतीया को यमुना ने अपने भाई यमराज को भोजन करने के ललए बुलाया तो यमराज मना न कर सके और बहन के घर चल पड़।े रास्त्ते में यमराज ने नरक में रहनेवाले जीवों को मुक्त कर दिया। भाई को िेखते ही यमुना ने बहुत हवषकत हुई और भाई का स्त्वागत सत्कार ककया। यमुना के प्रेम भरा भोजन ग्रहण करने के बाि प्रसन्द्न होकर यमराज ने बहन से कुछ मांगने को कहा। यमुना ने उनसे मांगा कक- आप प्रर्तवषक इस दिन मेरे यहां भोजन करने आएंगे और इस दिन जो भाई अपनी बहन से लमलेगा और बहन अपने भाई को टीका करके भोजन कराएगी उसे आपका डर न रहे। यमराज ने यमुना की बात मानते हुए तथास्त्तु कहा और यमलोक चले गए। तभी से यह यह मान्द्यता चली आ रही है कक कार्तकक शुक्ल राववतीय को जो भाई अपनी बहन का आर्तथ्य स्त्वीकार करते हैं उन्द्हें यमराज का भय नहीं रहता ।

  • E-Newsletter October-2017, Page 11

    मुहरकम पवक की शुरुआत यह समय सन 60 दहजरी का था | कबकला न्जसे सीररया के नाम से जाना जाता था | वहााँ यजीि शहंशाह बनाना चाहता था, न्जसके ललए उसने आवाम में खौफ फैलाना शुरू कर दिया | सभी को अपने सामने गुलाम बनाने के ललए यातनायें िी | यजीि पुरे अरब पर अपना रुतबा चाहता था | लेककन उसके तानाशाह के आगे हजरत मुहम्मि का वाररस इमाम हुसैन और उनके भाइयों न े घुटने नही टेके और जमकर मुकाबला ककया | बीवी बच्चों की दहफाजत िेने के ललए इमाम हुसैन मिीना से इराक की तरफ जा रहे थे | ब ही यजीि ने उनपर हमला कर दिया | वो जगह एक रेधगस्त्तान थी, न्जसमे पानी के ललए एक निी थी न्जस पर यजीि ने अपने सैर्नकों को तैनात कर दिया था | कफर भी इमाम और उनके भाइयों ने डटकर मुकाबला ककया | वे लगभग 72 थे, न्जन्द्होंने 8000 सैर्नकों की फ़ौज को िाते तले चने चबवा दिए थे | ऐसा मुकाबला दिया की िशु्मन भी तारीफ करने लगे | लेककन वो जीत नही सकते थे | वे सभी तो कुबाकन होने आये थे | ििक, तकलीफ सहकर भूखे ्यासे रहकर भी लड़ना स्त्वीकार ककया और यह लड़ाई मुहरकम 2 स े6 तक चली आर्खरी दिन इमाम ने अपने सभी साधथयों को कब्र मे सुलाया | लेककन खिु अकेले अतं तक लड़ते रहे | यजीि के पास कोई तरकीब नही बची और उनके ललए इमाम को मरना ना मुमककन सा हो गया | मुहरकम के िसवे दिन जब इमाम नमाज अिा कर रहे थे, तब िशु्मनों ने उन्द्हें िोखा से मारा | इस तरह से यजीि इमाम को मार पाया, लेककन हौसलों के साथ मरकर भी इमाम जीत का हक़िार हुए और शहीि कहलाया | तख्तो ताज जीत कर भी ये लड़ाई यजीि के ललए हार एक बड़ी हार थी | उस दिन से आज तक मुहरकम के महीने को शहीि की शहाित के रूप में याि करते है |

  • E-Newsletter October-2017, Page 12

    स्त्वच्छ भारत लमशन के अन्द्तगकत खुले मे शौच से मुन्क्त के सम्बन्द्ि में जागरूकता हेतु एक मालमकक अपील

    जागो युवा जागो स्त्वच्छ भारत है तुम्हारा अधिकार लेककन पहले उिाओं पहले कतकव्य का भार ***************************************************

    जब होगी हर डगर, हर गली साफ | तो ही पूरी होगी स्त्वच्छ भारत की आस ||

    ************************************************** हर गााँव हर शहर होगा जब साफ | तभी हो पाएगा िेश का सही ववकास ||

    ************************************************** स्त्वच्छ भारत अलभयान है एक आस |

    ताकक हो भारत िेश का सम्पूणक ववकास || **************************************************

    स्त्वच्छता ही है एक माि उपाए | जो सभी को हमेशा स्त्वस्त्थ्य बनाए ||

    ***************************************************

    स्त्वच्छता है महा अलभयान |

    स्त्वछता म ेिीन्जए अपना योगिान || ***************************************************

    हाथ से हाथ लमलाना है गंिगी नहीं फैलाना है

    स्त्वच्छता को अपनाना है ***************************************************

    स्त्वच्छ भारत लमशन शामली

    श्री लालचन्द्र भारती (अधिशाषी अधिकारी) ( अध्य् )

  • E-Newsletter October-2017, Page 13

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    शामली जागरण