ऩाठ -15 नीरक 2ठicisschool.com/ContentDoc/51201891319.pdfऩाठ -15 नीरक...

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ऩाठ -15 नीरकॊ ठ Sabd Aqa- 1.icaiD,maar ¹pixayaaoM ka iSakar krnao vaalaa 2.Saavak ¹ pixayaao M ko baccao 3.maUÐjaI ¹ kMjaUsa 4.sau rKaba ¹ ek sauM dr pixa 5.AaivaBaU-t ¹ ]%pnna haonaa 6.navaagaMtu k ¹ nae mahmaana 7.baMikma ¹ To Z,I 8.AaÐka ¹ icai~t 9.caMcau p`har ¹ caaoMca sao p`har krnaa 10.inaScaoYT ¹ baohaoSa 11.gaUÐja AnaugaUÐja ¹baar baar gaUÐjanaa 12.maMd` ¹ toj, a 13.maUÐja ¹rssaI 14.stbak ¹icatkbaro 15.du kolaI ¹dao haonao pr BaI AkolaI 16.mao GaacCnna ¹ baadlaaoM sao iGara huAa अयास नबंध से 1. . भोय-भोयनी के नाभ कस आधाय ऩय यखे गए? उतर नीरगददन होने के कायण भोय का नाभ नीरकॊ ठ यखा गमा औय भोयनी सदा भोय की छामा के सभान उसके साथ यहती इसलरए उसका नाभ याधा यखा गमा। 2. . जारी के फडे घय ऩह चने ऩय भोय के फच का कस काय वागत ? उतर जारी के फडे घय ऩह चने ऩय भोय के फच का उसी तयह वागत जैसा नववधू के आगभन ऩय ऩरयवाय होता है। रका कफूतय नाचना छोड उनके चाय ओय घूभ-घूभ कय गटयगू-गटयगूकी यागगनी अराऩने रगे , फडे खयगोश सम सबासद के सभान से फैठकय उनका नयीण कयने रगे , छोटे खयगोश उनके चाय ओय उछरक भचाने रगे औय तोते एक आॉख फॊद कयके उनका ऩयीण कयने रगे। 3. रेखखका को नीरकॊ ठ की कौन-कौन सी चेटाएॉ फह बाती थीॊ ? उतर नीरकॊ ठ देखने फह ॊदय था औय रेखखका को उसकी हय चेटाएॉ आकषदक रगती थीॊ ऩयत चेटाएॉ उह फह बाती थीॊ जैसे - भेघ की गजदन तार ऩय उसका इॊधनष के गछे जैसे ऩॊख को भॊडराकाय फनाकय तभम कयना। रेखखका के हाथ से हौरे -हौरे चने उठाकय खाते सभम उसकी चेटाएॉ हॉसी औय वभम उऩन कयती थी। नीरकॊ ठ का दमार वबाव औय सफकी या कयने की चेटा कयना। 4. 'इस आनॊदसव की यागगनी फेभेर वय कै से फज उठा' - वाम कस घटना की ओय सॊके त कय यहा है ?

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  • ऩाठ -15 नीरकॊ ठ Sabd Aqa- 1.icaiD,maar ¹pixayaaoM ka iSakar krnao vaalaa

    2.Saavak ¹ pixayaaoM ko baccao

    3.maUÐjaI ¹ kMjaUsa

    4.saurKaba ¹ ek sauMdr pixa

    5.AaivaBaU-t ¹ ]%pnna haonaa

    6.navaagaMtuk ¹ nae mahmaana

    7.baMikma ¹ ToZ,I

    8.AaÐka ¹ icai~t

    9.caMcau p`har ¹ caaoMca sao p̀har krnaa

    10.inaScaoYT ¹ baohaoSa

    11.gaUÐja AnaugaUÐja ¹baar baar gaUÐjanaa

    12.maMd` ¹ toj,a

    13.maUÐja ¹rssaI

    14.stbak ¹icatkbaro

    15.dukolaI ¹dao haonao pr BaI AkolaI

    16.maoGaacCnna ¹ baadlaaoM sao iGara huAa प्रश्न अभ्यास ननबंध से 1. . भोय-भोयनी के नाभ ककस आधाय ऩय यखे गए? उत्तर

    नीरी गददन होने के कायण भोय का नाभ नीरकॊ ठ यखा गमा औय भोयनी सदा भोय की छामा के सभान उसके साथ यहती इसलरए उसका नाभ याधा यखा गमा।

    2. . जारी के फड ेघय भें ऩह ॉचने ऩय भोय के फच्चों का ककस प्रकाय स्वागत ह आ? उत्तर

    जारी के फड ेघय भें ऩह ॉचने ऩय भोय के फच्चों का उसी तयह स्वागत ह आ जैसा नववध ूके आगभन ऩय ऩरयवाय भें होता है। रक्का कफूतय नाचना छोड उनके चायों ओय घूभ-घूभ कय ग टयगूॊ-ग टयगूॊ की यागगनी अराऩने रगे, फड ेखयगोश सभ्म सबासदों के सभान क्रभ से फैठकय उनका ननयीऺण कयने रगे, छोटे खयगोश उनके चायों ओय उछरकूद भचाने रगे औय तोते एक आॉख फॊद कयके उनका ऩयीऺण कयने रगे।

    3. रेखखका को नीरकॊ ठ की कौन-कौन सी चेष्टाएॉ फह त बाती थीॊ? उत्तर नीरकॊ ठ देखने भें फह त स ॊदय था औय रेखखका को उसकी हय चेष्टाएॉ आकषदक रगती थीॊ ऩयन्त क छ चेष्टाएॉ

    उन्हें फह त बाती थीॊ जैसे - • भेघों की गजदन तार ऩय उसका इॊद्रधन ष के ग च्छे जैसे ऩॊखों को भॊडराकाय फनाकय तन्भम नतृ्म कयना। • रेखखका के हाथों से हौरे-हौरे चने उठाकय खाते सभम उसकी चेष्टाएॉ हॉसी औय ववस्भम उत्ऩन्न कयती थी। • नीरकॊ ठ का दमार स्वबाव औय सफकी यऺा कयने की चेष्टा कयना।

    4. 'इस आनॊदोंत्सव की यागगनी भें फेभेर स्वय कैसे फज उठा' - वाक्म ककस घटना की ओय सॊकेत कय यहा है?

  • उत्तर मह वाक्म रेखखका द्वाया क ब्जा भोयनी को राने की ओय सॊकेत कय यहा है। क ब्जा भोयनी के आने से ऩहरे नीरकॊ ठ, याधा औय अन्म ऩश -ऩऺी फाड ेभें आयाभ से यह यहे थे जजसे रेखखका ने आनॊदोंत्सव की यागगनी कहा है। ऩयन्त क ब्जा भोयनी के आ जाने से वहाॉ अशाॊनत फ़ैर गमी। वह स्वबाव से भेर-लभराऩ वारी न थी। ईष्मादर प्रकृनत की होने के कायण वह नीरकॊ ठ औय याधा को साथ न देख ऩाती थी। उसने याधा के अॊड ेबी तोड डारे थे। नीरकॊ ठ अप्रसन्न यहने रगा था औय अॊत भें मह उसकी भतृ्म का कायण फना।

    5. वसॊत ऋत भें नीरकॊ ठ के लरए जारीघय भें फॊद यहना असहनीम क्मों हो जाता था? उत्तर वसॊत भें आभ के वृऺ भॊजरयमों से रदे जाते औय अशोक रार ऩत्तों से ढक जाता जजसे देखकय नीरकॊ ठ के

    लरए जारीघय भें यहना असहनीम हो जाता। उसे परों के वृऺ ों से बी अगधक स गजन्धत व खखरे ऩत्तों वारे वृऺ अच्छे रगते थे।

    6. . जारीघय भें यहनेवारे सबी जीव एक-दसूये के लभत्र फन गए थे, ऩय क ब्जा के साथ ऐसा सॊबव क्मों नहीॊ हो

    ऩामा? उत्तर क ब्जा का स्वबाव भेर-लभराऩ वारा न था। ईष्मादर होने के कायण वह सफसे झगडा कयती यहती थी औय

    अऩनी चोंच से नीरकॊ ठ के ऩास जाने वारे हय-एक ऩऺी को नोंच डारती थी। वह ककसी को बी नीरकॊ ठ के ऩास आने नहीॊ देती थी महाॉ तक की उसने इसी ईष्मादवश याधा के अॊडें बी तोड ददए थे। इसी कायण वह ककसी की लभत्र न फन सकी।

    7. नीरकॊ ठ ने खयगोश के फच्चे को साॉऩ से ककस तयह फचामा? इस घटना के आधाय ऩय नीरकॊ ठ के स्वबाव की

    ववशेषताओॊ का उल्रेख कीजजए। उत्तर एक फाय एक साॉऩ ऩश ओॊ के जारी के बीतय ऩह ॉच गमा। सफ जीव-जॊत इधय-उधय बागकय नछऩ गए,

    केवर एक लशश खयगोश साॉऩ की ऩकड भें आ गमा। ननगरने के प्रमास भें साॉऩ ने उसका आधा वऩछरा शयीय भ ॉह भें दफा लरमा। नन्हा खयगोश धीये-धीये चीॊ-चीॊ कय यहा था ऩयन्त आवाज़ इतना तीव्र नही था की ककसी को स्ऩष्ट स नाई दे। सोमे ह ए नीरकॊ ठ ने जफ मह भॊद स्वय स ना तो वह झट से अऩने ऩॊखों को सभेटता ह आ झूरे से नीचे आ गमा। उसने सावधानी से साॉऩ के पन के ऩास ऩॊजों से दफामा औय कपय अऩनी चोंच से इतने प्रहाय उस ऩय ककए कक वह अधभया हो गमा औय पन की ऩकड ढीरी होते ही खयगोश का फच्चा भ ख से ननकर आमा। इस प्रकाय नीरकॊ ठ ने खयगोश के फच्चे को साॉऩ से फचामा। इस घटना के आधाय ऩय नीरकॊ ठ के स्वबाव की ववशेषताओॊ ननम्नलरखखत हैं - • सतकद ता - जारीघय के ऊॉ चे झूरे ऩय सोते ह ए बी उसे खयगोश की भॊद ऩ काय स नकय मह शक हो गमा कोई प्राणी कष्ट भें है औय वह झट से झूरे से नीचे उतया। • साहसी औय वीय - अकेरे ही उसने साॉऩ से खयगोश के फच्चों को फचामा औय साॉऩ के दो खॊड कय ददमा जजससे उसके साहस औय वीयता का ऩता चरता है। • यऺक - खयगोश को भौत के भ ॉह से फचाकय नीरकॊ ठ ने मह लसद्ध कय ददमा कक वह यऺक है। • दमार - वह खयगोश के फच्चे को सायी यात अऩने ऩॊखों भें नछऩाकय ऊष्भा देता यहा जजससे उसके दमार होने का ऩता चरता है।

  • भाषा की बात 1. 'रूऩ' शब्द से 'क रूऩ', 'स्वरूऩ', 'फह रूऩ' आदद शब्द फनते हैं। इसी प्रकाय नीचे लरखे शब्दों से अन्म शब्द फनाओ

    -गॊध, यॊग, पर, ऻान उत्तर गॊध - स गॊध, द गदन्ध, गॊधक, गॊधहीन।

    यॊग - फदयॊग, फेयॊग, यॊगबफयॊगा। पर - सपर, ननष्पर, असपर, ववपर। ऻान - ववऻान, अऻान, सद्ऻान।

    2.

    उत्तर

    . नीचे ददए गए शब्दों के सॊगध ववग्रह कीजजए सॊगध ववग्रह नीर + आब = लसॊहासन = नव + आगॊत क = भेघाच्छन्न =

    सॊगध ववग्रह नीर + आब = नीराब लसॊहासन = लसॊह + आसन नव + आगॊत क = नवागॊत क भेघाच्छन्न = भेघ + आच्छन्न

    ऩाठ -16. बोय औय फयखा Sabd Aqa-

    1.Baaor ¹p`at:

    2.ikMvaaro ¹ikvaaD,

    3.d\vaaro ¹ d\vaar

    4.sabad ¹ Sabd

    5.]caarO ¹ baaolato hO

    6.maÐh ¹ maoM

    7.cahuÐidsa ¹ caaraoM Aaor

    8.Jar laavana kI ¹ vaYaa- kI JaiD,yaaÐ laanao vaalaI

    9.]magyaaoM ¹ ]maMga sao Bara huAa

    kivata sao

    1. 'फॊसीवाये ररना', 'भोये प्माय', 'रार जी', कहते ह ए मशोदा ककसे जगाने का प्रमास कयती हैं औय वे कौन-कौन सी फातें कहती हैं?

    उत्तर 'फॊसीवाये ररना', 'भोये प्माय', 'रार जी', कहते ह ए मशोदा अऩने ऩ त्र श्रीकृष्ण को जगाने का प्रमास कयती हैं। वे कहतीॊ हैं कक यात फीत गमी है, स फह हो गमी है, सबी के दयवाजें ख र च के हैं। गोवऩमाॉ दही से भक्खन ननकार यही हैं जजससे उनके कॊ गन फज यहे हैं, उन्हें स नो। दयवाजे ऩय देव औय भानव सबी त म्हायी प्रतीऺा भें खड ेहैं, ग्वार-फार बी शोय भचा यहे हैं औय जम-जमकाय कय यहें हैं, उनके हाथ भें भाखन योटी रेकय गाएॉ

  • चयाने के लरए त म्हायी प्रतीऺा कय यहें हैं।

    2. . नीचे दी गई ऩॊजक्त का आशम अऩने शब्दों भें लरखखए - 'भाखन-योटी हाथ भॉह रीनी, गउवन के यखवाये।' उत्तर प्रस्त त ऩॊजक्त का आशम मह है कक गामों के यखवारे ग्वार-फारों के हाथ भें भाखन औय योटी है।

    3. ऩढे ह ए ऩद के आधाय ऩय ब्रज की बोय का वणदन कीजजए। उत्तर ऩद के आधाय ऩय ब्रज भें बोय होते ही सबी घयों के ककवाड ख र जाते हैं। गोवऩमाॉ दही भथना श रू कय देती हैं

    जजससे उनके कॊ गन खनकने की आवाज़ होती है। ग्वार-फार गामें चयाने के लरए तैमाय होने रगते हैं।

    4. . भीया को सावन भनबावन क्मों रगने रगा? उत्तर भीया को सावन भनबावन इसलरए रगा क्मोंकक मह भौसभ भीया को श्रीकृष्ण के आने का अहसास कयाता

    है।इसभें प्रकृनत फडी स हावनी होती है इसलरए भन भें उभॊग बय जाती है।

    5. . ऩाठ के आधाय ऩय सावन की ववशेषताएॉ लरखखए। उत्तर सावन भें प्रकृनत भनोहायी दृश्म प्रस्त त कयती है। चायों तयप फादर पैर जाते हैं, गयजते हैं औय बफजरी

    चभकती है। इस भौसभ भें भनबावन वषाद होती है जजससे सबी प्रसन्न हो जाते हैं। गभी भें कभी आती है औय ठॊडी हवाएॉ फहती हैं।

    kivata से आगे

    1 . भीया बजक्तकार की प्रलसद्द कवनमत्री थीॊ। इस कार के दसूये कववमों के नाभों की सूची फनाइए तथा उनकी एक-एक यचना का नाभ लरखखए।

    उत्तर कवव - उनकी यचना सूयदास - सूयसागय यसखान - पे्रभ वादटका ऩयभानॊद - ऩयभानॊदसागय त रसीदास – याभचरयतभानस

    2. सावन वषाद ऋत का भहीना है, वषाद ऋत से सॊफॊगधत दो अन्म भहीनों के नाभ लरखखए। उत्तर आषाढ औय बादो भाषा की बात 1. . कृष्ण को 'गउवन के यखवाये' कहा गमा है। जजसका अथद है गौओॊ का ऩारन कयनेवारा। इसके लरए एक शब्द

    दें। उत्तर गोऩारा 2. नीचे दो ऩॊजक्तमाॉ दी गई हैं। इनभें से ऩहरी ऩॊजक्त भें येखाॊककत शब्द दो फाय आए हैं, औय दसूयी ऩॊजक्त भें बी दो

  • फाय। इन्हें ऩ नरुजक्त (ऩ न:उजक्त) कहते हैं। ऩहरी ऩॊजक्त भें येखाॊककत शब्द ववशेषण हैं औय दसूयी ऩॊजक्त भें सॊऻा। 'नन्हीॊ-नन्हीॊ फूॉदन भेहा फयसे' 'घय-घय ख रे ककॊ वाये' इस प्रकाय के दो-दो उदाहयण खोजकय वाक्म भें प्रमोग कीजजए औय देखखए कक ववशेषण तथा सॊऻा की ऩ नरुजक्त के अथद भें क्मा अॊतय हैं? जैसे - भीठी-भीठी फातें, पूर-पूर भहके।

    उत्तर ववशेषण ऩ नरुजक्त नए-नए - कर भैंने नए-नए कऩड ेऩहने थे। ठॊड-ेठॊड े- सभोसे फड ेठॊड-ेठॊड ेहैं। सॊऻा ऩ नरुजक्त गरी-गरी - भैंने उसे गरी-गरी ढूॊढा। नगय-नगय - आजकर नगय-नगय छाऩेभायी चर यही है।

    ऩाठ - 17 वीय क ॉ वय लसॊह Sabd Aqa- 1.dmana ¹ iksaI ]pd`va yaa kama kao raoknaa

    2.kUca krnaa ¹ Aagao baZ,anaa

    3.saaMp`daiyak sad\Baava ¹Qama- ko AaQaar pr maola jaaola

    4.maui@tvaihnaI ¹ svatM~ $p sao Aagao baZ,nao vaalaI

    5.AaQuinaktma ¹ nae tirko

    6.Agauvaa[-¹ naotR%va

    7.Capamaar ¹ iCpkr

    8.AaojasvaI ¹ vaIrta Baro

    9.mahart ¹ ivaSaoYata

    10.AikMcana ¹pòma kI

    11.maktba ¹ madrsaa

    inabaMQa sao 1. वीय क ॉ वयलसॊह के व्मजक्तत्व की कौन-कौन सी ववशेषताओॊ ने आऩको प्रबाववत ककमा? उत्तर वीय क ॉ वयलसॊह के व्मजक्तत्व की ननम्न ववशेषताओॊ ने हभें प्रबाववत ककमा है -

    • फहाद य • साहस • फ वद्धभान व चत य • उदाय • साॊप्रदानमक सद्भाव

    mailto:4.maui@tvaihnaI

  • 2. . क ॉ वयलसॊह को फचऩन भें ककन काभों भें भजा आता था? क्मा उन्हें उन काभों से स्वतॊत्रता सेनानी फनने भें क छ भदद लभरी?

    उत्तर क ॉ वयलसॊह को फचऩन भें घ डसवायी, तरवायफाजी औय क श्ती रडने भें भजा आता था। उन्हें इन काभों से स्वतॊत्रता सेनानी फनने भें बयऩूय भदद लभरी। इन सफ से उनके अॊदय साहस औय वीयता का ववकास ह आ साथ ही वे तरवायफाजी औय घ डसवायी की करा भें ननऩ ण ह ए जजसे उन्हेोने अॊगे्रज़ों के खखराप म द्ध कयने भें इस्तेभार ककमा।

    3. . साॊप्रदानमक सद्भाव भें क ॉ वय लसॊह की गहयी आस्था थी- ऩाठ के आधाय ऩय कथन की ऩ जष्ट कीजजए। उत्तर इब्रादहभ खाॉ औय ककपामत ह सैन उनकी सेना भें धभद के आधाय ऩय नहीॊ अवऩत कामदक शरता औय वीयता के

    कायण उच्च ऩद ऩय आसीन थे। उनके महाॉ दहन्द ओॊ के औय भ सरभानों के सबी त्मोहाय एक साथ लभरकय भनाए जाते थे। उन्होंने ऩाठशारा के साथ भकतफ बी फनवाए। इनसे ऩता चरता है की साॊप्रदानमक सद्भाव भें क ॉ वय लसॊह की गहयी आस्था थी।

    4. ऩाठ के ककन प्रसॊगों से आऩको ऩता चरता है कक क ॉ वय लसॊह साहसी, उदाय एवॊ स्वालबभानी व्मजक्त थे? उत्तर साहसी - ऊनन ऩूयी जीवन गाथा उनके साहसी होने का प्रभाण है। क ॉ वय लसॊह ने जगदीशऩ य हायने के फाद बी

    भनोफर नही खोमा औय सॊग्राभ भें बाग लरमा। उन्होंने अऩनी घामर ब जा को स्वमॊ काटकय गॊगा भें सभवऩदत कय ददमा जो की साहस का अद्ववतीम उदहायण है।

    उदाय - क ॉ वयलसॊह फड ेही उदाय रृदम थे। उनकी भारी हारत अच्छी न होने के फावजूद वे ननधदनों की हभेशा सहामता कयते थे। उन्होंने कई ताराफों, क ॉ ओॊ, स्कूरों तथा यास्तों का ननभादण ककमा।

    स्वालबभानी - वमोवदृ्ध हो च कने के फाद बी उन्होंने अॊगे्रज़ों के साभने घ टने नहीॊ टेके औय उनका डटकय भ काफरा ककमा।

    5. आभतौय ऩय भेरे भनोयॊजन, खयीद फ़योख्त एवॊ भेरजोर के लरए होते हैं। वीय क ॉ वयलसॊह ने भेरे का उऩमोग

    ककस रूऩ भें ककमा? उत्तर वीय क ॉ वयलसॊह ने भेरे का उऩमोग स्वतॊत्रता की क्राॊनतकायी गनतववगधमों, ग प्त फैठकों की मोजनाओॊ को

    कामादन्वनमत कयने के रूऩ भें ककमा।

    भाषा की बात 1. आऩ जानते हैं कक ककसी शब्द को फह वचन भें प्रमोग कयने ऩय उसकी वतदनी भें फदराव आता है। जैसे -

    सेनानी एक व्मजक्त के लरए प्रमोग कयते हैं औय सेनाननमों एक से अगधक के लरए। सेनानी शब्द की वतदनी भें फदराव मह ह आ है कक अॊत के वणद 'नी' की भात्रा दीघद 'ीी' (ई) से रृस्व 'जी' (इ) हो गई है। ऐसे शब्दों को, जजनके अॊत भें दीघद ईकाय होता है, फह वचन फनाने ऩय वह इकाय हो जाता है, मदद शब्द के अॊत भें रृस्व इकाय होता है, तो उसभें ऩरयवतदन नहीॊ होता जैसे - दृजष्ट से दृजष्टमों। नीचे ददए गए शब्दों के वचन फदलरए -

  • नीनत, जस्थनत, जजम्भेदारयमों, सराभी, स्वालबभाननमों, गोरी। उत्तर नीनत - नीनतमों

    जस्थनत - जस्थनतमों जजम्भेदारयमों - जजम्भेदायी सराभी - सरालभमों स्वालबभाननमों - स्वालबभानी गोरी - गोलरमों

    18. सॊघषद के कायण भैं त न कलभज़ाज हो गमा: धनयाज

    Sabd Aqa-

    1.saup̀isad\Qa ¹ jaanao maanao

    2.saaxaa%kar ¹ BaoMT

    3.jauJaa$ ¹ Ca jaanao vaalaa

    4.ifsaD\DI ¹ ipCDa huAa

    5.tutukimaj,aaja ¹ CaoTI CaoTI baataoM pr gaussaa hao jaanaa

    6.kd` ¹ Aadr

    7.kRi~ma ¹ banaavaTI

    8.gaur ¹ trIko

    साऺात्कार से 1. . साऺात्काय ऩढकय आऩके भन भें धनयाज वऩल्र ैकी कैसी छवव उबयती है वणदन कीजजए। उत्तर साऺात्काय के अन साय धनयाज वऩल्र ैख रे ददर के, सीधे-सयर औय बाव क व्मजक्त हैं। वे फड ेही कदठन

    आगथदक सॊघषों से ग जये जजससे वह अऩने आऩ-को अस यक्षऺत सभझने रगे थे। उन्हें ग स्सा फह त अगधक आता है ऩयन्त वह अऩने घय-ऩरयवाय की फह त इज्जत कयते हैं। उन्हें अऩनी प्रलसवद्ध ऩय जया बी अलबभान नहीॊ है। रोगों को रगता है कक उनके स्वबाव भें त नक-लभजाजी आ गई ऩयन्त आज बी वे सयर व्मजक्त हीॊ हैं।

    2. . धनयाज वऩल्र ैने ज़भीन से उठकय आसभान का लसताया फनने तक की मात्रा तम की है। रगबग सौ शब्दों भें इस सफ़य का वणदन कीजजए।

    उत्तर धनयाज वऩल्र ैकी ज़भीन से उठकय आसभान का लसताया फनने तक की मात्रा फह त ही सॊघषदऩूणद है। उनका एक फह त गयीफ ऩरयवाय भें जन्भ ह आ। इनसे फड ेदो बाई हॉकी खेरते थे जजसे देख इन्हें बी खेरने का शौक ह आ ऩयन्त जस्टक खयीदने के ऩैसे नही थे। मे अऩने सागथमों से जस्टक उधाय भाॊग कय खेरते थे। इन्हें अऩनी ऩहरी हॉकी जस्टक तफ लभरी जफ इनके फड ेबाई का चमन बायतीम कैं ऩ के लरए ह आ। तफ इनके फड ेबाई ने अऩनी ऩ यानी जस्टक इन्हे दे दी। भात्र 16 की उम्र भें इन्होनें जूननमय याष्रीम हॉकी सन ्1985 भें भखणऩ य भें खेरी। 1986 इन्हें सीननमय टीभ भें डार ददमा गमा। 1989 भें ऑरववन एलशमा कैं ऩ भें च ने जाने के फाद मे सपरता के सीदढमाॉ रगाताय चढते यहे। 1999 भें भहयाष्र सयकाय ने इन्हें ऩवई भें एक फ्रैट ददमा औय 2000 भें इन्होनें अऩनी पोडद आइकॉन खयीदी।

    3.

    'भेयी भाॉ ने भ झे अऩनी प्रलसवद्ध को ववनम्रता से सॉबारने की सीख दी है' -

  • उत्तर धनयाज वऩल्र ैकी इस फात का क्मा अथद है? धनयाज वऩल्र ैकी इस फात का अथद है कक कई रोग प्रलसद्ध होने के फाद घभॊडी हो जाते हैं ऩयन्त उनकी भाॉ द्वाया ददए सॊस्कायों के कायण आज वह प्रलसवद्ध प्राप्त कयने के फाद बी ववन्रभ स्वबाव के हैं। इॊसान चाहे जजतना ऊॉ चा उठ जाएॉ ऩयन्त उसभें घभॊड की बावना नहीॊ होनी चादहए।

    साऺात्कार से आगे 1. ध्मानचॊद को हॉकी का जादगूय कहा जाता है। क्मों? ऩता रगाइए। उत्तर ध्मानचॊद हॉकी के सफसे फेहतयीन खखराडी थे। उनके जस्टक से फॉर सटती तो गोर होकय ही वाऩस आती। वह

    हॉकी को एक करयश्भाई अॊदाज़ भें खेरते। वह तीन फाय ओरजम्ऩक के स्वणद ऩदक जीतने वारी बायतीम हॉकी टीभ के सदस्म यहे हैं। इसलरए ध्मानचॊद को हॉकी का जादगूय कहा जाता है।

    2. ककन ववशेषताओॊ के कायण हॉकी को बायत का याष्रीम खेर भाना जाता है? उत्तर हभ धनयाज वऩल्र ैकी इस फात से सहभत हैं क्मोंकक हभाये सभाज भें फह त से सॊगीतकाय, कराकाय,

    सादहत्मकाय, यॊगकलभदमों, खखराडी आदद हैं जजन्हें शोहयत तो लभरी ऩयन्त उनके काभ का उगचत भेहनताना नहीॊ लभरा। ऩैसा औय शोहयत दोनों अरग चीज़ें हैं। ऩैसा तो गरत काभों से बी कभामा जा सकता है ऩयन्त शोहयत केवर अऩने काभ के प्रनत प्माय से प्राप्त होता है।

    भाषा की बात 1 . . नीचे क छ शब्द लरखे हैं जजनभें अरग-अरग प्रत्ममों के कायण फायीक अॊतय है। इस अॊतय को सभझाने के

    लरए इन शब्दों का वाक्म भें प्रमोग कीजजए - 1. पे्रयणा, पे्रयक, पे्ररयत 2. सॊबव, सॊबाववत, सॊबवत: 3. उत्साह, उत्सादहत, उत्साहवधदक

    उत्तर 1. पे्रयणा - भहात्भा गाॊधी के आदशों से हभ सफको पे्रयणा रेनी चादहए। पे्रयक - भहाऩ रुषों की कथाएॉ पे्रयक होती हैं। पे्ररयत - फहाद यी की कहाननमाॉ भ झे फहाद य फनने के लरए पे्ररयत कयती हैं।

    2. सॊबव - मह काभ भेये लरए सॊबव है। सॊबाववत - ऩयीऺा की अबी सॊबाववत नतगथ ही जायी ह ई है। सॊबवत: - सॊबवत: आज फारयश होगी।

    3. उत्साह - आज का ददन उत्साह बया यहा। उत्सादहत - आज छात्र फड ेउत्सादहत हैं। उत्साहवधदक - मह ककताफ छात्रों कय लरए उत्साहवधदक है।

    2. तुनुकममज़ाज शब्द तुनुक औय ममज़ाज दो शब्दों के लभरने से फना है। ऺणिक, तननक औय तुनुक एक ही शब्द के लबन्न रूऩ हैं। इस प्रकाय का रूऩाॊतय दसूये शब्दों भें बी होता है, जैसे - फादर, फादय, फदया, फदरयमा; भमूय,

  • भमूया, भोय; दऩदण, दऩदन, दयऩन। शब्दकोश की सहामता रेकय एक ही शब्द के दो मा दो से अगधक रूऩों को खोजजए। कभ-से-कभ चाय शब्द औय उनके अन्म रूऩ लरखखए।

    उत्तर वषाद - फारयश, फयखा, फयसात चन्द्रभा - चॊदा, चाॉद, चन्द्र नमा - नमा, नवीन, नूतन ऩैय - ऩग, ऩद, ऩाॉव

    3. . हय खेर के अऩने ननमभ, खेरने के तौय-तयीके औय अऩनी शब्दावरी होती है। जजस खेर भें आऩकी रुगच हो उससे सॊफॊगधत क छ शब्दों को लरखखए, जैसे - प टफॉर के खेर से सॊफॊगधत शब्द हैं - गोर, फैककॊ ग, ऩालसॊग, फूट इत्मादद।

    उत्तर कक्रकेट - गेंद, फल्रा, ववकेट, यन, वऩच, आदद।

    ऩाठ - 19 आश्रभ का अन भाननत व्मम Sabd Aqa-

    1.Anaumaainat ¹ Adaj,a ko Anausaar

    2.saMsqaa ¹ AaEama

    3.sapirvaar ¹ pirvaar ko saiht

    4.AaOj,aar ¹ baZ,[- Êlaaohar Aaid ko kama krnao ka saamaana

    5.madoM ¹ Kcao-

    6.caaOk ¹ rsaao[- Gar

    प्रश्न अभ्यास ऱेखा जोखा 1. . हभाये महाॉ फह त से काभ रोग ख द नहीॊ कयके ककसी ऩेशेवय कायीगय से कयवाते हैं। रेककन गाॉधी जी ऩेशेवय

    कायीगयों के उऩमोग भें आनेवारे औज़ाय-छेनी, हथौड,े फसूरे इत्मादद क्मों खयीदना चाहते होंगें? उत्तर गाॉधी जी आश्रभ भें आने वारे प्रत्मेक व्मजक्त को स्वावरॊफी औय आत्भननबदय फनाना चाहते होंगें इसलरए

    वह ऩेशेवय कायीगयों के उऩमोग भें आनेवारे औज़ाय-छेनी, हथौड,े फसूरे इत्मादद खयीदना चाहते होंगें।

    2. . गाॉधी जी ने अखखर बायतीम काॊगे्रस सदहत कई सॊस्थाओॊ व आॊदोरनों का नेततृ्व ककमा। उनकी जीवनी मा उनऩय लरखी गई ककताफों से उन अॊशों को च ननए जजनसे दहसाफ-ककताफ के प्रनत गाॉधी जी की च स्ती का ऩता चरता है?

    उत्तर गाॊधीजी फचऩन भें स्कूर हभेशा सभम ऩय जाते औय छ ट्टी होते ही घय वाऩस चरे आते। वे सभम के ऩाफॊद इॊसान थे। वे कबी बी कपजूरखची नहीॊ कयते थे महाॉ तक कक ऩैसा फचाने के लरए वे कई फाय कई ककरोभीटय ऩैदर मात्रा कयते थे क्मोंकक उनका भानना था कक धन को जरुयी काभों भें ही खचद कयना चादहए। क छ ककताफों के इन अॊशों से दहसाफ-ककताफ के प्रनत गाॉधी जी की च स्ती ऩता चरता का है।

    4. . आऩको कई फाय रगता होगा कक आऩ कई छोटे-भोटे काभ (जैसे - घय की ऩ ताई, दधू द हना, खाट फ नना)

  • कयना चाहें तो कय सकते हैं। ऐसे काभों की सूची फनाइए, जजन्हें आऩ चाहकय बी नहीॊ सीख ऩाते। इसके क्मा कायण यहे होंगे? उन काभों की सूची बी फनाइए, जजन्हें आऩ सीखकय ही छोडेंगे।

    उत्तर कऩड ेलसरना - मह काभ भ झे फह त ऩेचीदा रगता है इसलरए भैं इसे नही कय ऩाता। ऩेड-ऩौधे रगाना - चूॉकक भ झे ऩौधों के फाये भें ज्मादा जानकायी नही है इसलरए भ झे मह नही आता। ऩेड-ऩौधे रगाना, काय चराना, कम्प्मूटय चराना आदद काभ भैं सीखकय ही छोडूॊगा।

    5. इस अन भाननत फजट को गहयाई से ऩढने के फाद आश्रभ के उद्देश्मों औय कामदप्रणारी के फाये भें क्मा-क्मा अन भान रगाए जा सकते हैं?

    उत्तर आश्रभ भें स्वमॊ काभ कयने को ज्मादा भहत्व ददमा जाता था क्मोंकक गाॊधीजी ताकक वे आत्भननबदय फन सकें ।गाॊधीजी रोगों को आजीववका प्रदान कय, रघ उद्मोग को फढावा देकय, श्रभ को फढावा देकय उन्हें स्वावरॊफी फनाना चाहते हैं।

    भाषा की बात 1. अन भाननत शब्द अन भान भें इत प्रत्मम जोडकय फना है। इत प्रत्मम जोडने ऩय अन भान का न ननत भें

    ऩरयवनत दत हो जाता है। नीचे-इत प्रत्मम वारे क छ औय शब्द लरखे हैं। उनभें भूर शब्द ऩहचाननए औय देखखए कक क्मा ऩरयवतदन हो यहा है - प्रभाखणत, व्मगथत, द्रववत, भ खरयत, झॊकृत, लशक्षऺत, भोदहत, चगचदत। प्रभाखणत - प्रभाण + इत व्मगथत - व्मथा + इत द्रववत - द्रव + इत भ खरयत - भ खय + इत झॊकृत - झॊकाय + इत लशक्षऺत - लशऺा + इत भोदहत - भोह + इत चगचदत - चचाद + इत इत प्रत्मम की बाॉनत इक प्रत्मम से बी शब्द फनते हैं औय शब्द के ऩहरे अऺय भें बी ऩरयवतदन हो जाता है, जैसे - सप्ताह + इक = साप्तादहक। नीचे इक प्रत्मम से फनाए गए शब्द ददए गए हैं। इनभें भूर शब्द ऩहचाननए औय देखखए क्मा ऩरयवतदन हो यहा है- भौखखक, सॊवैधाननक, प्राथलभक, नैनतक, ऩौयाखणक, दैननक।

    उत्तर भौखखक - भ ख + इक सॊवैधाननक - सॊववधान + इक प्राथलभक - प्रथभ + इक नैनतक - नीनत + इक ऩौयाखणक - ऩ याण + इक दैननक - ददन + इक

  • 2. . फैरगाडी औय घोडागाडी शब्द दो शब्दों को जोडने से फने हैं। इसभें दसूया शब्द प्रधान है, मानी शब्द का प्रभ ख अथद दसूये शब्द ऩय दटका है। ऐसे साभालसक शब्दों को तत्ऩ रुष सभास कहते हैं। ऐसे छ् शब्द औय सोचकय लरखखए औय सभखझए कक उनभें दसूया शब्द प्रभ ख क्मों है?

    उत्तर धनहीन - धन से हीन येरबाडा - येर के लरए बाडा यसोईघय - यसोई के लरए घय आकाशवाणी - आकाश से वाणी देशननकारा - देश से ननकारा ह आ ऩाऩभ क्त - ऩाऩ से भ क्त

    ऩाठ - 20 ववप्रव गामन Sabd Aqa- प्रश्न अभ्यास

    कविता से 1. . 'कण-कण भें है व्माप्त वही स्वय ..... कारकूट पखण की गचॊताभखण'

    (क) 'वही स्वय', 'वह ध्वनन' एवॊ 'वही तान' अदद वाक्माॊश ककसके लरए/ककस बाव के लरए प्रम क्त ह ए हैं? उत्तर कवव 'वही स्वय', 'वह ध्वनन' एवॊ 'वही तान' अदद वाक्माॊश का बाव नव-ननभादण औय जनता को जागतृ कयने के

    लरए प्रम क्त ह ए हैं।

    (ख) वही स्वय, वह ध्वनन एवॊ वही तान से सॊफॊगधत बाव का 'रुद्ध-गीत की क्र द्ध तान है/ननकरी भेये अॊतयतय से' - ऩॊजक्तमों से क्मा कोई सॊफॊध फनता है?

    उत्तर वही स्वय, वह ध्वनन एवॊ वही तान से सॊफॊगधत बाव का 'रुद्ध-गीत की क्र द्ध तान है/ननकरी भेये अॊतयतय से' भें आऩसी सॊफॊध फनता है क्मोंकक कवव इन ऩॊजक्तमों भें आवेशऩूवदक जनता को जागतृ कयना चाहते है ऩयॊत उसके कॊ ठ से वह गीत फाहय नहीॊ आ सकता जजससे वह औय बी अगधक अधीय हो जाता है।

    2. नीचे दी गई ऩॊजक्तमों का बाव स्ऩष्ट कीजजए - 'सावधान ! भेयी वीणा भें ...... दोनों ऐॊठी हैं।'

    उत्तर इस ऩॊजक्त भें कवव रोगों को ऩरयवतदन के प्रनत सावधान कयता है औय वीणा से कोभर स्वय ननकारने की फजाम कठोय स्वय ननकरने के कायण उसकी उॉगलरमों की लभजयाफें टूटकय गगय गईं, जजससे उसकी उॉगलरमाॉ ऐॊठकय घामर हो जाती है ।

    भाषा की बात 1. . कववता भें दो शब्दों के भध्म (-) का प्रमोग ककमा गमा है, जैसे - 'जजससे उथर-ऩ थर भच जाए' एवॊ 'कण-

    कण भें है व्माप्त वही स्वय'। इन ऩॊजक्तमों को ऩदढए औय अन भान रगाइए कक कवव ऐसा प्रमोग क्मों कयते हैं?

  • उत्तर कवव कववता भें दो शब्दों के भध्म (-) का प्रमोग कय शब्दों भें रम फनामे यखते हैं। इस कायण कववता बी ओजऩूणद रगती है।

    2. . कववता भें (,-।) आदद जैसे ववयाभ गचह्नों का उऩमोग रुकने, आगे-फढने अथवा ककसी खास बाव को अलबव्मक्त कयने के लरए ककमा जाता है। कववता ऩढने भें इन ववयाभ गचह्नों का प्रबावी प्रमोग कयते ह ए काव्म ऩाठ कीजजए। गद्म भें आभतौय ऩय है शब्द का प्रमोग वाक्म के अॊत भें ककमा जाता है, जैसे - देशयाज जाता है। अफ कववता की ननम्न ऩॊजक्तमों को देखखए - 'कण-कण भें है व्माप्त......वही तान गाती यहती है,' इन ऩॊजक्तमों भें है शब्द का प्रमोग अरग-अरग जगहों ऩय ककमा गमा है। कववता भें अगय आऩको ऐसे अन्म प्रमोग लभरें तो उन्हें छाॉटकय लरखखए।

    उत्तर • कॊ ठ रुका है भहानाश का • टूटीॊ हैं लभजयाफें • योभ-योभ गाता है वह ध्वनन

    3. ननम्न ऩॊजक्तमों को ध्मान से देखखए - 'कवव क छ ऐसी तान स नाओ......एक दहरोय उधय से आए,' इन ऩॊजक्तमों के अॊत भें आए, जाए जैसे त क लभरानेवारे शब्दों का प्रमोग ककमा गमा है। इसे त कफॊदी मा अॊत्मान प्रास कहते हैं। कववता से त कफॊदी के अन्म शब्दों को छाॉटकय लरखखए।

    उत्तर • फैठी है - ऐॊठी हैं • इधय - उधय • रुद्ध - म द्ध • पखण - भखण