Imam Mahdi Ka Zahoor - Ahmadiyya · iii Ver 2016.04.18/05 #. िवषय . 1. से vii 2. स...

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चौदहव िहजरी शतादी का अत और इमाम महदी अलैिहसलाम का ादभाव संकलनकता माैलवी मुहमद आज़म सािहब इसीर चारक िसलिसला आिलया अहमदया काशक चार-सार िवभाग सदर अंजुमन अहमदया क़ादयान पंजाब (भारत)

Transcript of Imam Mahdi Ka Zahoor - Ahmadiyya · iii Ver 2016.04.18/05 #. िवषय . 1. से vii 2. स...

  • चौदहव िहजरी शता(दी का अ+तऔर

    इमाम महदी अलैिह1सलाम का3ाद4भा6व

    संकलनकता6

    माैलवी मुह:मद आज़म सािहब इ>सीर

    3चारक िसलिसला आिलया अहम@दया

    3काशक

    3चार-3सार िवभाग

    सदर अंजुमन अहम@दया क़ा@दयानपंजाब (भारत)

  • नाम पुस्तक : चौदहवीं हहजरी श्ताबदी का अन्त और इमाम महदी अलैहहस्सलाम का प्ादुराभाव

    ्संकलनक्ताभा : माैलवी मुहममद आज़म ्साहहब इक्सीर प्चारक ह्सलह्सला आहलया अहमददया

    अनुवादक : अलीह्सन एम.ए., एच.ए.

    टाईहपसट : ्सययद एजाज़ अहमद

    प्थम ्संसकरण हहनदी : 2016 ई.

    ्संखया : 1000

    प्काशक : नज़ार्त नश्र-व-इशाअ्त, क़ाददयान हज़ला-गुरदा्सपुर (पंजाब)

    मुद्रक : फ़ज़लले उमर हप्ंदटंग प्ले्स, क़ाददयान

    ISBN :

  • iii

    Ver 2016.04.18/05

    िवषय सूची#. िवषय पृ.

    1. काशक क% ओर से vii

    2. हज़रत मुह0मद मु4तफ़ा सëbëbा6 अलैिह व सëbम का आदेश 1

    3. सव>मा?य आ4था 2

    4. मसीह और महदी 3

    5. नुज़ूल का अथ> 4

    6. इमाम महदी अलैिह4सलाम का 4थान 6

    7. इमाम महदी(अ) और ख़ुदा तआला क% वNी (संदेश) 9

    8. इमाम महदी कR ादSभाव> का समय, VेW एवं िनशािनयॉं 11

    9. इमाम महदी होने का दावा 12

    10. खुदा क% वNी पर पूण> िव_ास 13

    11. सफलता पर पूण> िव_ास 15

    &थम ख*ड

    12. इमाम महदी अलैिह4सलाम कR ादSभा>व का समय 21

    13. (क) क़bरआन मजीद क% dिe से 21

    14. (ख) हदीसf क% dिe से 25

    15. (ग) उ0मत कR िवjानf और सूफ% स?तf कR klmान एवं भिवnयवािणयf क% dिe से 29

    16. (घ) कbछ अ?य धमr कR िवjानf कR कथन अनुमान और आ4थाs क% dिe से 40

    ि,तीय ख*ड

    17. इमाम महदी अलैिह4सलाम कR ादSभा>व का VेW दिमtक से पूरब क% ओर (िह?दS4तान) 44

    18. कbछ अ?य धािम>क पु4तकf कR उwरण 50

  • iv

    Ver 2016.04.18/05

    . िवषय पृ.

    तृतीय ख%ड

    19. इमाम महदी अलैिह+सलाम क/ 0ाद2भा4व क/ समय क7 िनशािनयॉं 52

    20. क@सूफ और खुसूफ (अथा4त सूय4-चLM Nहण) का वण4न 52

    21. सूय4-चLM Nहण िनशान का 0कटन 53

    22. मुजTUदाें क/ बारे मX हदीस 56

    23. चौदहव[ शता\दी िहजरी का अLत और वत4मान युग क/ अवतार क7 घोषणा 59

    24. इमाम महदी क/ 0कट होने का समय एवं अLय िनशािनयॉं 60

    25. मसीह क/ 0ाद2भा4व का समय 63

    चतुथ* ख%ड

    26. इमाम महदी क/ 0ाद2भा4व क7 0तीcा 65

    27. इमाम महदी क/ िलए, मुf+लम िवgानh क7 0बल 0तीcा 66

    28. इमाम महदी क/ िलए, िशया िवgानh क7 0बल 0तीcा और उनक/ िवचार 74

    29. अLय धमm क/ लोगh क/ बयान और 0बल 0तीcा 84

    पंचम ख%ड

    30. इमाम महदी अलैिह+सलाम क7 क@छ घोषणाएँ और उपदशे 87

    31. मसीह व महदी क/ 0ाद2भा4व से इLकार 89

    32. इLकार का कारण 91

    33. सव4माLय अक़7दा 91

    34. इमाम महदी कौन और कहॉं है? 95

    35. कलाम (किवता) हज़रत िमज़ा4 ग़ुलाम अहमद सािहब क़ाTदयानी मसीह मौऊद व महदी मा'xद अलैिह+सलाम 98

    ***

  • v

    Ver 2016.04.18/05

    िब"#मëलािहर)हमािनर)हीम

    संथापक जमाअत अहम'दया

    का

    दावा

    ‘‘मुझे खुदा तआला क5 शु7 और पिव; व

  • vii

    Ver 2016.04.18/05

    काशक क ओर से

    01 मुहर%म सन् 1401 िहजरी अथा%त 10 नव3बर सन् 1980 ई. से प िहजरी शता@दी का Cारंभ हो चुका है िजस पर सारे इJलािमक देशL ने भMय रंग मP इस शता@दी कQ Jवागत का जR मनाया और अब प शता@दी िहजरी कQ भी कई साल बीत चुकQ हT।

    क़Wरआन मजीद, हदीसL और पूव% धमा%\मा] कQ कथनानुसार मुसलमान चौदहव> शता@दी िहजरी कQ Cारंभ से ही इस शता@दी कQ सुधारक इमाम महदी एवं मसीह मौऊद कQ Cादaभा%व कb Cतीcा मP थे। अत: इस िहजरी शता@दी कQ Cारंभ मP ख़ुदा तआला कQ आदेशानुसार हज़रत िमज़ा% ग़ुलाम अहमद सािहब क़ाhदयानी संJथापक जमाअत अहमhदया ने दावा िकया िक आप ही इस िहजरी शता@दी कQ सुधारक इमाम महदी और मसीह मौऊद हT। आप िलखते हT िक :-

    1. ‘‘जब तेरहव> िहजरी शता@दी का अ शता@दी का Cार3भ हाेने लगा तो अëbाह तआला ने इmहाम कQ nारा मुझे खबर दी िक तू इस शता@दी का अवतार है।’’ (िकताबुल बरीय: पृr 168)

    2. ‘‘मुझे खुदा तआला कb शुw और पिवx वyी से सूचना दी गई है िक मT उसकb ओर से मसीह मौऊद और महदी मा|द और आ

  • viii

    Ver 2016.04.18/05

    सव"मा%य हदीस+ म, िलखी है और सा3य क5 िलए खुदा काफ9 है।’’ (म

  • ix

    Ver 2016.04.18/05

    दे रहे ह% िक यह कह) िलखा -आ नह) है िक इमाम महदी का 4ाद5भा7व चौदहव) सदी िहजरी म= ही होगा और कAछ लोग यह कहकर संतुF हो रहे ह% िक अब चौदहव) िहजरी शताJदी खKम ही नह) होगी। हालॉंिक कई इOलामी देश पQRहव) िहजरी शताJदी का Oवागत भी कर चुकS ह%।

    काश ! हमारे मुसलमान Uाता संजीदगी और सVे Wदल से संOथापक जमाअत अहमWदया कS दावा पर Yयान देते िजQहZने िब[कAल ठीक समय पर घोषणा क` िक :-

    इOमऊ सौतOसमाअ जाअल् मसीह जाअल् मसीह,नीज़ िवgणु अज़् ज़म) आमद इमामे कामगार।आसमॉं बाWरद िनशॉं अलवhत मी गोयद ज़म),ईं दो शािहद अज़ पै मन नारा ज़न चँू बेक़रार।1

    िफर फ़रमाया :-वhत था वhत-ए-मसीहा, न िकसी और का वhतम% न आता तो कोई, और ही आया होता !हे मुसलमानाें! आओ हम सब खुदा कS उस भेजे -ए

    सुधारक क` िशsाt का पालन करकS उसक` जमाअत म= शािमल होकर िनराशा और हताशा क` अवOथा से िनकलकर एक जीिवत और कौमी जuबा से इOलाम क` सेवा का सौभाvय 4ाw कर= और अपने उyवल भिवgय क` ओर क़दम बढ़ाएँ।

    इमाम महदी अलैिहOसलाम कS 4ाद5भा7व से संबंिधत यह लेख आदरणीय मौलवी मुह{मद आज़म सािहब इ|सीर

    1. *- आसमान क` आवाज़ सुनो िक मसीह आ गया, मसीह आ गया और ज़मीन से भी सफल इमाम कS आने क` शुभसूचना सुनो।

    *- आसमान से िनशान बरस रहे ह% और ज़मीन कह रही है िक यही वह समय है और ये दो गवाह मेरी तOदीक़ कS िलए बेक़रारZ क` तरह ऐलान कर रहे ह%। (अनुवादक)

  • x

    Ver 2016.04.18/05

    चारक िसलिसला अहम,दया ने संकिलत िकया है। िजसम6 क़8रआन क: आयत; आँहज़रत सëbëbा> अलैिह व सëbम क: भिवAयवािणय; और पूवF धमाFHमाI कJ कथन; को एकN िकया गया है िजन से PपQ होता है िक अवRय इमाम महदी अलैिहPसलाम का ादUभाFव चौदहवW िहजरी शताYदी म6 ही होना था और उन भिवAयवािणय; कJ अनुसार ऐसा ही >आ और यह सारी िनशािनयॉं संPथापक जमाअत अहम,दया कJ सौभा^यशाली अ_PतHव म6 पूरी हो चुक: है।

    चार-व- सार िवभाग समय क: आवRयकतानुसार जन साधारण कJ लाभ हेतु इस संकलन का िहaदी अनुवाद िकताब क: दशा म6 कािशत कर रहा है। इसका िहaदी अनुवाद आदरणीय अलीहसन सािहब एम.ए., एच.ए. ने िकया है अëbाह तआला इसकJ लेखक और अनुवादक और सभी सहयोिगय; को इसका ितफल दान करे और उनकJ gान को बढ़ाए और उनको धमाFथF सेवा क: अिधक से अिधक शिi दान करे और इस िकताब को लोग; कJ िलए लाभ द बनाए। आमीन !

    िवनीत नािज़र न व इशाअत

    क़ा'दयान

  • 1

    Ver 2016.04.18/05

    हज़रत मुह!मद मु#तफ़ा सëbëbा' अलैिह व सëbम का आदेश

    निबय$ क' सरदार व खा.मु2बीयीन सैयदना हज़रत मुह8मद म9ुतफ़ा अहमद म

  • 2

    Ver 2016.04.18/05

    सवमाय आ#था

    िशया और सु)ी िकताब. क/ अनुसार उ4मते मुह4म8दया क: हमेशा से यह आ

  • 3

    Ver 2016.04.18/05

    पृ" 13 पर िलखा है :-ٍد َّمَ

    ُائِم ِ'ْ ٰاِل حم

    َق

    ْْت ِيفْ ال

    َل َ/َ

    िक यह आयत अलक़ायम क4 बारे म7 अवत9रत ;ई है।(घ) िशयB कC एक और िवFGत िकताब ग़ायतुल मकसूद

    िजNद 2 पृ" 123 म7 िलखा है :-ا د  ى  ام      در"! ر#ل  از  $اد 

    िक इस आयत म7 रसूल से ताPपयQ किथत इमाम महदी अलैिहGसलाम हT।

    मसीह और महदी

    हदीसB और 9रवायतB म7 आने वाले सुधारक क4, िविभY िवशेषता[ कC \ि] से कई नाम बयान ;ए हT। लेिकन अिधकतर दो नाम मसीह और महदी पाए जाते हT। हदीसB क4 अनुसार यह भी Gप] है िक मसीह और महदी एक ही अ_GतPव क4 दो नाम हT।

    (1) एक हदीस म7 आँहज़रत सëbëbा; अलैिह व सëbम ने फ़रमाया :-

    ِعْيَىس ا3َْ َمْریَْمَّ

    ِاالُ

    َمْهِدّیْ ال

    ََوال

    िक ईसा इ_cन म9रयम क4 अित9रd अeय कोई महदी नहf।(इ_cन माजा बाब िशgतुhज़मान पृ. 257 िमjी कeज़ुल

    उlमाल िजNद 7, पृ" 156)(2) एक हदीस म7 आँहज़रत सëbëbा; अलैिह व सëbम

    ने Gप] शcदB म7 आने वाले ईसा इ_cन म9रयम को इमाम महदी ठहराते ;ए कहा :-ً

    ٰ= ِعيَىس ا3َْ َمْریََم ِاَماًما َمْهِدّ>ْل

    َْن ّی

    َْم ا

    ُ ِمْنک

    َِشُک َ'ْ َعاش ْEُ

    अथाQत िनकट है िक तुम म7 से जो जीिवत हो ईसा इ_cन

  • 4

    Ver 2016.04.18/05

    म!रयम से उसक) इमाम महदी होने क1 हालत म5 मुलाकात करे।(मु9नद अहमद िबन हंबल िज?द 2, पृC 411 िमDी)

    (3) िशयG क1 िकताब िबहाHल अनवार म5 हज़रत अबू ददाLअ रिज़. क1 !रवायत है :-

    اِس ِبِعْيَىس اْ"ِ َمْریََمَ

    الّن َبُهْ

    شَا

    िक महदी सब लोगG से बढ़कर ईसा इTUन म!रयम का समVप होगा।

    नुज़ूल का अथ$

    हदीसG म5 ईसा इTUन म!रयम क) आने क) िलए ‘नुज़ूल’ का शUद Yयोग Zआ है िजससे क[छ लोगG ने यह समझा िक स^भवत: वह आसमान से उतर5गे। हालॉंिक इस तरह कोई नहa उतरा करता, बT?क य!द िकसी गुज़रे Zए नबी या अवतार का उतरना संभव है तो क)वल समVप और Yितcछाया क) Vप म5।*- इमाम िसराजुdीन इTUन अलवदe अपनी िकताब

    खरीदतुल अजाइब व फ़रीदतुरLग़ाइब क) पृC 214 पर िलखते हi :-

    َبُه ْ

    يَش َرُجٍل ُ

    ُخُرْوج ِعْيٰىس ْوِل ُُ

    = ْ>ٌِ

    ةَِفْرق ْت

    َال

    ََوق

    ٌک ََمل ْريِ

    َ ْاخل ُجِل ِللّرَ

    ُیُقال ما

    َک ِف ْ

    ََوالّرش ِل

    ْض

    َف

    ْال يف ِعْيٰىس

    ْعیاُنْ

    اُداال َUَُما َوال ِبْهيًاِهبِْ

    شَْيَطاٌن ت

    َش ِUْ ِ

    ََوِللّرش

    अथाLत एक समुदाय ने कहा िक ईसा क) उतरने से एक ऐसे पुHष का YादmभाLव ताnपयL है जो YितCा और महानता म5 हज़रत ईसा क1 तरह होगा। जैसे िक एक नेक आदमी को फ!रpता और दmq आदमी को शैतान कह देते हi िकrतु उससे फ!रpता और शैतान का अT9तnव ताnपयL नहa होता।*- इसी तरह गुHs क) गुH tी मुह^मद अकरम सािबरी

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    Ver 2016.04.18/05

    अपनी िकताब ‘इि+बासुल अनवार’ क1 पृ3 52 पर िलखते ह8 :- ُ

     " #ّف  %ں  ر'&  ار)ِب  )  *+  ,   - رو/.

    " 0وز  ء

    123ُ را   45   ا6ِ و  8دد۔   " 9ں  ا:ِل  ;ِ?ُول از  و   @ (وز  درAى   BDٰ E< ُروِح  >  Fآ)  G ۔  HI

    َ ِّاال

    َُمْهِدّی

    ْال

    َال  >   J KL   ا6  MN اO۔  0وز    PQ Rرت 

    ِعْيٰىس۔

    अथा

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    Ver 2016.04.18/05

    इमाम महदी अलैिह%सलाम का %थान

    हज़रत इमाम महदी अलैिह.सलाम हज़रत मुह1मद मु.तफ़ा सëbëbा3 अलैिह व सëbम क7 सेवक और महान आ?मक @तापी पुB होने क7 कारण व.तुत: सारे निबयG एवं अवतारG क7 नाम पाने क7 पाB हJ। इसीिलए हज़रत शेख मुहीउOीन इPने अरबी रहमतëुbाह अलैिह फ़रमाते हJ :-

    ِء ْٓنِبیا

    َ ْاال ْیُع َمجِ وُن

    ُیَک ماِن

    َالّز ٰاِخِر ِيفْ ُرُج َخيْ ِذْی

    َّال َمْهِدّیَ

    ْال ِاّنَ

    ُهللا َ

    َصّيل ٍد ُحمَّمَ ُب ْل

    َق َبُه

    ْل

    َق ّنَ

    َِال َمعاِرِف

    َْوال ْوِم

    ُُعل

    ْال ِيف ُه

    َل Mَِبِعْنيَ

    (35 ا  ص  َم(ح َّْیِه َوَسل

    ََعل

    आ>ख़री युग मT महदी @कट होगा तो सम.त अवतार Vान और अ

  • 7

    Ver 2016.04.18/05

    नह", ब%&क वह तो मुह.मद सëbëbा2 अलैिह व सëbम क8 नाम क9 :यापक :या=या होगा। (मानो आँहज़रत सëbëbा2 अलैिह व सëbम क9 पूणG HितIछाया और समLप होगा) और आप सëbëbा2 अलैिह व सëbम का ही Hितिव.ब अथाGत आँहज़रत सëbëbा2 अलैिह व सëbम का आPया%Qमक RिS से पुनजGVम होगा। अत: उसक8 Yथान और क8वल एक उ.मती क8 Yथान म[ बड़ा अVतर है। िफर फ़रमाया :-

    مْرَسِلْنيَِْد ال اُر َسّيِ َ*ْ

    َْنَعِکَس ِفْیِه ا

    َْن ّی

    َُه ا

    َ ل

    ٌ َحّق

    अथाGत मसीह मौऊद इमाम महदी इस चीज़ का पाd है िक उसम[ सैयदeल मुसGलीन क8 नूर Hितिब%.बत हf।*- िशयf क8 Hितिhत इमाम हज़रत जाफर साiदक़

    अलैिहYसलाम क9 iरवायत है िक जब इमाम महदी ज़ािहर हfगे तो काबा से टेक लगाकर लोगf को कह[गे :-

    ِمْريَ َا َو َم

    َّوَسل ْیِه

    ََعل هللا ٍدَصّيل َّمَ

    ُحم ِاٰيل ْنُظَر

    َّی ْن

    َا راَد

    َا ْEَ

    َال

    َا

    ْیِه ََعل هللا ٌدَصّيل َّمَ

    ُحم ا

    َHذ

    َا َها

    َف ْیِه

    ََعل هللا ٰوُت

    َصل ُمٔوِمِنْنيَ

    ْال

    ْEِ ِمئِّة َ ْاال نُظَراٰيل

    َّی ْن

    َا َراَد

    َا ْEََو

    َال

    َ۔ا ُمٔوِمِنْنيَ

    ْال ِمْريُ

    َا َو َم

    ّوَسل

    ْم ُُئک نَّبِ

    ُا ِ

    ّفِاىن ِىتْ

    ََمْسئل ِجْیُبواِيلْ

    َ۔ا

    ُِمئَّة

    ْاال ا

    َHذ

    َا َها

    َف َُسْنيِ

    ْاحل ِد

    ُْول

    ُئْوا ِبٖه۔َْ ُتَنّب

    َُتْم ِبٖه َوَمامل

    ْئ ِمبَانُّبِ

    (202 رہ    ن  !"  # % 13 $ب  ا'&ار  ((ر िक हे लोगो ! सुनो जो चाहता है िक आदम व शीश को

    देखे तो देखे िक वह मn oँ। सुनो! जो चाहता है िक नूह और उसक8 बेटे साम को देखे तो वह मn oँ। सुनो! जो चाहता है िक इpाहीम और इYमाईल को देखे तो देखे िक मn ही इpाहीम और इYमाईल oँ। सुनो ! जो मूसा और यूशअ को देखना चाहता है तो मn ही मूसा और यूशअ oँ। सुनो ! जो चाहता है िक ईसा और शम्ऊन को देखे वह मुझे देखे िक मn ही ईसा और शम्ऊन oँ। सुनो ! जो मुह.मद सëbëbा2 अलैिह व सëbम

  • 8

    Ver 2016.04.18/05

    और अमी&ल मोिमनीन रिज़यëbा. अ/. को देखना चाहता है तो म9 ही मुह;मद सëbëbा. अलैिह व सëbम >ँ और अमी&ल मोिमनीन भी। सुनो ! जो इमामE को देखना चाहता है जो .सैन रिज़यëbा. अ/. कF औलाद मG से ह9 तो वे सब म9 ही >ँ। मेरा स/देश Jवीकार करो KयEिक म9 तु;हG ऐसी बातE कF खबर देता >ँ िजनकF तु;हG खबर दे दी गई थीऔर िजनकF खबर नहP दी गई थी।

    नोट :- अरबी इबारत का Tारंिभक भाग छोड़ Xदया गया है लेिकन अनुवाद सारी इबारत का है। तथा काबा से टेक लगाकर कहने से ताYपय[ ताबी&र\अ् या कF िव^ा क_ अनुसार इJलाम पर क़ायम होना है।*- िह/दaJतान क_ मुसलमानE क_ एक महान शायर हज़रत

    नािसख़ ने सच कहा है िक :-देखकर उसको करGगे लोग रजअत का गुमॉं।यE कहGगे मोजज़े से मुJतफ़ा पैदा .आ।।

    रसूलE क_ सरदार सरवरे कायनात हज़रत मुह;मद मुJतफ़ा अहमद मुiतबा सëbëbा. अलैिह व सëbम क_ महान आjयाkYमक Tतापी पुl आkखरी युग क_ सुधारक और मसीह व महदी या क़ायम आले-मुह;मद क_ Tितिव;ब और समnप क_ nप मG अनिगनत नाम हदीसE, XरवायतE और उ;मत क_ औिलया अëbाह क_ कथनE मG विण[त ह9। अगले पृrE मG हम समJत क़ौमाें क_ इस किथत अवतार अथा[त समJत निबयE क_ समnप का वण[न अिधकांशत: ‘इमाम महदी अलैिहJसलाम’ क_ नाम से करGगे।

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    Ver 2016.04.18/05

    इमाम महदी अलैिह%सलाम और

    ख़ुदा तआला क. व0ी (संदेश)

    हज़रत इमाम महदी अलैिह.सलाम क1 महान .थान और बुल7द शान से .प< है िक उसका जीिवत ख़ुदा क1 साथ एक िज़7दा संबंध हो। उसे वFी व इGहाम से सौभाJय Lदान िकया जाए और फNरOते उसक1 पास आया करQ और उसका दावा और कायR खुदा कT वFी क1 अनुसार हो।

    (क) आँहज़रत सëbëbाX अलैिह व सëbम ने फ़रमाया :-ْوَ+ ُهللا ِاٰيل ِعْيَىس اْ"ِ َمْریََم

    َا

    ख़ुदा तआला अपनी ओर से उस पर वFी अवतNरत करेगा।(मु^.लम िजGद 2 पृ` 411, िमOकात पृ` 473)

    (ख) अëbामा इbने हजर अलहैसमी रहमतëुbाह अलैिह से पूछा गया िक :-

    जब मसीह मौऊद (इमाम महदी) आएगा तो fया उस पर वFी अवतNरत होगी ? तो उ7हhने कहा :-

    َما ِيفْ َحِدْیِث ُمْسِلٍمَْیِه َوْ+ٌ َحِقْی9ٌِّ ک

    َٰ+ ِال َعْم،ُ

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    Ver 2016.04.18/05

    ‘‘मसीह मौऊद (इमाम महदी अलैिह/सलाम) पर िज6ाईल खुदा क; ओर से पैग़ाम लाएगा।’’ (Bजजुल िकरामा पृD 431)

    (घ) िशयH क; िकताबH मK हज़रत अबू जाफर से Oरवायत है :-

    ْمِر هللاََِوْ"ِ !

    ْل !ِ

    َُیْعَمل

    َْیِه ف

    َٰ" ِال َو ُ.ْ

    िक इमाम महदी अलैिह/सलाम पर वSी होगी। अत: वह अëbाह तआला कV आदेश से उस वSी पर कायXरत होगा।’’

    (अYZमु/सािकब िज[द 1, पृD 66)(ङ) हज़रत इमाम जाफर साOदक़ से एक Oरवायत है :-

    َو ُ

    ِمْیَاكِئْیل َو ُ

    ْیل ِجْربِ ْیِه َِال

    َل َ6َ

    ُیل

    َّالل َوَغَسَق ُعُیْوُن

    ْال َ?َمِت فِاَذا

    َو ٌ

    َمْقُبْول َک ُْول

    ََسّيِدْی!ق L

    ُْیل ِجْربِ ُه

    َل

    َُیُقْول

    َا۔ف

    ًُصُفوف

    ُة

    ََملِٰئک

    ْال

    َیْمَسُح یََدُە Vٰ َوْجِهٖه۔ََاْمُرَک جائٌِز ف

    (202 13 (راار अत: जब आँखK सो जाया करKगी और रात गहरी हो जाया

    करगेी तो उस (महदी) क; ओर िज6ाईल और मीकाईल और दaसर े फOरbत े कतारH मK आएगँ।े िफर िज6ाईल उस े कहगेा ह े मरेे सरदार! तरेी बात /वीकारणीय ह ैऔर तरेा काम वधै ह।ै िफर वह आपकV चहेर ेको अपन े हाथ स ेछjयगेा (अथाXत उस े बरकत दगेा)।

    उपरोk Oरवायत कV बाद पूरे िव/तार से आगे यह Oरवायत िलखी है िक :-

    इमाम महदी अलैिह/सलाम आकर सब निबयH कV सहीफ़V (धािमXक संदेश) सुनाएगा तो लोग कहKगे, खुदा क; क़सम ! यही सnे सहीफ़V हo। हम नहp जानते थे। इसी तरह वह (महदी) क़qरआन पढ़ेगा तो मुसलमान कहKगे खुदा क; क़सम ! यही सnा क़qरआन है िजसे अëbाह ने मुहsमद (सëbëbाB अलैिह व सëbम) पर उतारा था जो हम से छtट गया था।

    (िबहाvल अनवार िज[द 13, पृD 203)

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    Ver 2016.04.18/05

    अ!तत: िशया और सु,ी िलटरेचर क4 5ि6 से इमाम महदी अलैिह=सलाम पर व@ी का उतरना और खुदा तआला से उसका िज़!दा संबंध होना =प6 है।

    इमाम महदी क" #ाद$भा&व का समय, *े- एवं िनशािनयॉं

    सरवरे कायनात हज़रत मुहKमद सëbëbाL अलैिह व सëbम ने इस उKमत मM आने वाले महदी का कNवल =थान ही वणQन नहR िकया बSTक मुसलमानU कN मागQदशQन कN िलए संकNतU और भिवYयवािणयU कN Zारा -* इमाम महदी कN ]ाद^भाQव का समय* इमाम महदी कN ]ाद^भाQव का _े`* इमाम महदी कN ]ाद^भाQव क4 िनशािनयॉं इbयाcद भी वणQन

    कर दी थR।इन भिवYयवािणयU और संकNतU कN अनुसार हज़रत इमाम

    महदी कN ]ाद^भाQव का समय तेरहवR िहजरी शताeदी का अ!त या चौदहवR िहजरी शताeदी का ]ारंिभक काल था और उसकN ]द^भाQव का _े` दिमgक से पूरब या िह!द^=तान बताया गया था और उसकN ]ाद^भाQव कN समय क4 महbवपूणQ िनशािनयU मM से चॉंद सूरज का रमज़ान कN महीने मM iहण, मुसलमानU का पतन, ईसाइयत का ]भुbव, धरती और आसमान कN नए-नए lानU क4 जानकारी और नए से नए आिवYकारU से िज़!दगी क4 नई करवट लेना शािमल थR।

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    Ver 2016.04.18/05

    इमाम महदी होने का दावा

    इमाम महदी अलैिह+सलाम क. /ाद0भा4व का समय, 8े: और िनशािनय? इ@याAद पर िव+तारपूव4क /माण /+तुत करने से पहले हम सम+त शुभसूचनाH और भिवIयवािणय? क. अनुसार सारे इ+लामी जगत को यह शुभ सूचना देते हM िक िबOकPल ठीक समय पर उपरोS सम+त िनशािनयॉं पूरी हो चुकV हM और वह किथत इमाम महदी क़ाAदयान िज़ला गुरदासपुर (पंजाब) म\ सन् 1250 िहजरी म\ पैदा ^आ और सन् 1290 िहजरी म\ खुदा तआला से संवाद और वaी इOहाम का सौभाcय पाया। िजसका नाम िमज़ा4 ग़ुलाम अहमद क़ाAदयानी अलैिह+सलाम है। आपने घोषणा कV िक :-1. ‘‘जब तेरहवk िहजरी शताlदी का अmत होने लगा और

    चौदहवk िहजरी शताlदी /ारंभ होने लगी तो खुदा तआला ने इOहाम क. nारा मुझे सूचना दी िक तू इस शताlदी का मुजApद (सुधारक) है।’’ (िकताबुल बAरय: पृs 168 हािशया)2. िफर ख़ुदा तआला ने वaी क. nारा आपको संबोिधत

    िकया :-َمِسْيَح اْ"َ َمْریََم۔

    َْناَک ال

    َْجَعل

    िक हमने तुvह\ मसीह इlने मAरयम बना Aदया है।(इज़ाला औहाम पृs 632)

    3. िफर खुदा ने आपको संबोिधत करते ^ए कहा :-‘‘मसीह इlने मAरयम रसूलëुbाह मृ@यु पा गया है और उसक.

    xप म\ होकर वादा क. अनुसार तू आया है।ًُعْوال

    َْن َوْعُد هللاِ َمف

    ََواك

    (यह खुदा का वादा था जो पूरा ही होना था।)(इज़ाला औहाम पृs 561)

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    Ver 2016.04.18/05

    4. अत: आपने घोषणा क- िक :-‘‘मुझे ख़ुदा क- शु9 और पिव> व?ी से सूचना दी

    गई है िक मH उसक- ओर से मसीह मौऊद और महदी माMद और आNतOरक एवं बा? मतभेदT का Nयायक Mँ। यह जो मेरा नाम मसीह और महदी रखा गया है, ये दोनT नाम रसूलëुbाह सëbëbा\ अलैिह व सëbम ने मुझे Oदए हH और िफर खुदा ने अपने सीधे संवाद से यही मेरा नाम रखा और िफर ज़माने क- मौजूदा `aथित ने चाहा िक यही मेरा नाम हो।’’

    (अरबईन भाग 1, पृe 3)

    खुदा क व"ी पर पूण( िव*ास

    हज़रत िमज़ाg ग़ुलाम अहमद क़ाOदयानी अलैिहaसलाम को अपने ख़ुदा क- ओर से होने और अपने ऊपर अवतOरत होने वाली ख़ुदा क- व?ी पर हाOदgक िवjास था। आपने शपथपूवgक घोषणा क- िक :-*- ‘‘मुझे उस महान खुदा क- क़सम है जो झूठ का श>ु

    और मनगढ़त बातm कहने वाले को नn करने वाला है, िक मH उसी क- तरफ़ से Mँ और उसकp भेजने से ठीक समय पर आया Mँ और उसकp आदेश से खड़ा \आ Mँ और वह मेरे हर क़दम मm मेरे साथ है और वह मुझे नn नहr करेगा और न मेरी जमाअत को तबाही मm डालेगा जब तक वह अपने समaत काम को पूरा न कर ले िजसका उसने इरादा िकया है।’’

    (अरबईन भाग 3, पृe 2)*- मH उस ख़ुदा क- क़सम खाकर कहता Mँ िक िजस

    तरह उसने इuाहीम से संवाद िकया िफर इaहाक से और इaमाईल से और याक़vब से और यूसुफ से और मूसा से और

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    Ver 2016.04.18/05

    मसीह इ&ने म)रयम से और सबक/ बाद हमारे नबी सëbëbा3 अलैिह व सëbम से ऐसा संवाद िकया िक आप पर सबसे अिधक ?प@ और पिवA वBी अवत)रत कD। इसी तरह उसने मुझे भी अपने संवाद और संबोधन से सौभाLय Mदान िकया। िकNतु यह सौभाLय मुझे आँहज़रत सëbëbा3 अलैिह व सëbम क/ अनुसरण से MाR 3आ। य)द मS आँहज़रत सëbëbा3 अलैिह व सëbम कD उTमत न होता और आप सëbëbा3 अलैिह व सëbम का अनुकरण न करता तो चाहे दVिनया क/ तमाम् पहाड़Y क/ बराबर मेरे कमZ होते तो िफर भी मS कभी यह संवाद और संबोधन का सौभाLय न पाता।’’ (तजि^याते इलािहया, पृa 24)*- फ़)रeतY क/ कNधY पर इस िवनीत क/ दोनY हाथ हS

    और अलौिकक शिhयY क/ सहारे से ख़ुदा क/ Mदj kान खुल रहे हS।’’ (इज़ाला औहाम, पृa 698)*- क़सम है मुझे उस ह?ती कD िजसक/ हाथ मn मेरी

    जान है... एक ग़ैब (पदr) मn हाथ है जो मुझे थाम रहा है और एक अलौिकक चमक है जो मुझे रोशन कर रही है और एक आसमानी sह है जो मुझे शिh दे रही है। अत: िजसने नफ़रत करना है करे तािक मौलवी सािहब ख़ुश हो जाएँ। ख़ुदा कD क़सम मेरी नज़र एक ही पर है जो मेरे साथ है और अëbाह क/ अित)रh हर एक चीज़ एक मरी 3ई चvटी क/ बराबर भी मेरी नज़र मn नहv। xया मेरे िलए वह काफD नहv िजसने मुझे भेजा है। मS िन:सNदेह जानता yँ िक वह इस त&लीग़ (सNदेश) काे न@ नहv करेगा जो मS लेकर आया yँ।’’

    (ज़मीमा इज़ाला औहाम भाग 2, पृa 14, Mथम सं?करण)*- ‘‘मS उस ख़ुदा कD क़सम खाकर कहता yँ िजसक/ हाथ

    मn मेरी जान है िक उसी ने मुझे भेजा है और उसने मेरा नाम नबी रखा है और उसी ने मुझे मसीह माैऊद क/ नाम से पुकारा

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    है और उसने मेरे स*यापन क/ िलए बड़े-बड़े िनशान 9कट िकए ह; जो तीन लाख तक पAँचते ह;।

    (तितFमा हक़Hक़तुल वKी, पृN 68)

    सफलता पर पूण$ िव'ास

    िजस PयिQ को खुदा Sवयं खड़ा करे और ताज़ा बताज़ा वKी से उसको 9ितिNत करे, फWरXते उसक/ पास िनरYतर आते ह[, उसे िकसी पल नाकामी का डर नह] हो सकता। उसे अपनी और अपने िमशन कH पूणa सफलता पर पूणa िवbास होता है। हज़रत िमज़ाa सािहब अलैिहSसलाम इसी कdफHयत मe फ़रमाते ह; :-

    ‘‘दhिनया मुझको नह] पहचानती पर वह मुझको जानता है िजसने मुझे भेजा है। यह उन लोग[ कH ग़लती और सरासर दhभाamय है िक मेरी तबाही चाहते ह;। म; वह वृn oँ िजसको ख़ुदा ने अपने हाथ से लगाया है। हे लोगो ! तुम िन:सYदेह जान लो िक मेरे साथ वह हाथ है जो अYत समय तक मेरे साथ वफा करेगा। अगर तुFहारे पुsष और तुFहारी औरतe और तुFहारे जवान और तुFहारे बूढ़े और तुFहारे छोटे और तुFहारे बड़े सब िमलकर मेरे नw करने क/ िलए दhआएँ करe। यहॉं तक िक सyदा करते-करते तुFहारे नाक िघस जाएँ और हाथ लुंज हो जाएँ तब भी ख़ुदा कदािप तुFहारी दhआ नह] सुनेगा और नह] sक/गा जब तक िक वह अपने काम को पूरा न कर ले। इसिलए अपनी जान[ पर अ*याचार मत करो। झूठ[ क/ मुँह और होते ह; और स|[ क/ और। खुदा िकसी बात को फdसले क/ िबना नह] छोड़ता। िजस तरह ख़ुदा ने पहले निबय[ और इYकार करने वाल[ मe एक Wदन फdसला कर Wदया उसी तरह वह अब भी फdसला करेगा... ख़ुदा

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    क! निबय' क! आने क! भी एक मौसम होते ह4 और िफर जाने क! िलए भी एक मौसम। अत: िन:स?देह समझो िक म4 न बे मौसम आया Bँ और न बेमौसम जाऊEगा। ख़ुदा से मत लड़ो। यह तुJहारा काम नहK िक मुझे तबाह कर दो।’’

    (ज़मीमा तोहफा गोलड़िवया, पृR 13)‘‘यTिप एक UयिV भी मेरे साथ न रहे और सब छोड़

    छाड़कर अपनी-अपनी राह लZ, तब भी मुझे क[छ डर नहK। म4 जानता Bँ िक ख़ुदा तआला मेरे साथ है। अगर म4 पीसा जाऊE और एक ितनक! से भी कमतर हो जाऊE और हर एक तरफ से क^ और गाली और िध`ार पाऊE, तब भी म4 अ?तत: सफल Bँगा। मुझको कोई नहK जानता, पर वह जो मेरे साथ है। म4 कदािप न^ नहK हो सकता। दbcमन' कd कोिशशZ Uयथf ह4 और ईgयाfलुh कd योजनाएँ िनgफल। हे मूखk ! और अ?धो ! मुझसे पहले कौन सmयवादी न^ nआ जो म4 न^ हो जाऊEगा। िकस सoे वफादार को ख़ुदा ने अपमान क! साथ न^ कर pदया जो मुझे न^ कर देगा? िन:स?देह याद रखो और कान खोलकर सुनो ! िक मेरी rह न^ होने वाली rह नहK और मेरी sकtित मZ असफलता का ख़मीर नहK। मुझे वह िहJमत और सoाई sदान कd गई है िजसक! आगे पहाड़ भी क[छ नहK ह4। म4 िकसी कd परवाह नहK करता। म4 अक!ला था और अक!ला रहने पर नाराज़ नहK। uया ख़ुदा मुझे छोड़ देगा ? कभी नहK छोड़ेगा। uया वह मुझे न^ कर देगा ? कभी नहK न^ करेगा। दbcमन अपमािनत ह'गे और ईgयालु शिमf?दा, और खुदा अपने भV को हर मैदान मZ सफलता देगा। म4 उसक! साथ वह मेरे साथ है। कोई चीज़ हमारा संबंध नहK तोड़ सकती और मुझे उसकd sितRा और sताप कd सौग?ध है िक मुझे लोक और परलोक मZ इससे अिधक कोई चीज़ भी िsय नहK िक उसक! धमf कd महानता

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    Ver 2016.04.18/05

    कट हो। उसका तेज चमक/ और उसका बोलबाला हो। उसक5 क6पा क/ साथ िकसी आज़माइश से मुझे डर नहD, चाहे एक आज़माइश नहD करोड़ आज़माइशH हI। आज़माइशI क/ मैदान मH और दL:खI क/ जंगल मH मुझे ताक़त दी गई है :-

    ِ   !  " روِز  #  

    $ آ%  

    'ے   (ں! و  *ك  +ِن .-ر,  / آں 

    अत: यVद कोई मेरे पीछे चलना नहD चाहता तो मुझसे अलग हो जाए, मुझे Xया मालूम िक अभी कौन-कौन से भयानक जंगल और कॉंटेदार म]^थल आने वाले ह` िजनको म`ने तय करना है। अत: िजन लोगI क/ नाज़ुक पैर ह` वे XयI मेरे साथ कa उठाते ह`। जो मेरे ह` वे मुझसे अलग नहD हो सकते, न कa से न लोगI क/ गाली गलौज से, न आसमानी कaI और परीcाआें से, और जो मेरे नहD वे dयथe दो^ती का दम भरते ह` XयIिक वे शीf ही अलग िकए जाएँगे और उनका अगला हाल उनक/ पहले से बुरा होगा। Xया हम भूकhपाें से डर सकते ह` ? Xया हम अपने jयारे ख़ुदा क5 िकसी परीcा से बच सकते ह` ? कदािप नहD बच सकते, िकlतु उसक5 दया और क6पा से। अत: जो अलग होने वाले ह` अलग हो जाएँ। उनको िवदाअ (अथाeत अलग हाेने) का सलाम।’’ (अनवा]ल इ^लाम, पृp 21, 22)

    ‘‘यह िसलिसला आसमान से क़ायम qआ है। तुम ख़ुदा से मत लड़ो। तुम इसको िमटा नहD सकते। इसका हमेशा बोलबाला है। अपने ाणI पर अsयाचार मत करो और इस िसलिसला को हेय tिa से न देखो, जो ख़ुदा क5 ओर से तुhहारे सुधार क/ िलए पैदा qआ और िन:सlदेह जानो िक यVद यह कारोबार मनुwय का होता और कोई गुx हाथ इसक/ साथ न होता तो यह िसलिसला कब का नa हो जाता और ऐसा धूतe जzद मर जाता यहॉं तक िक अब उसक5 हि{यI का भी पता न चलता। अपनी

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    Ver 2016.04.18/05

    मुखािलफत क* कारोबार म. पुन: गौर करो। कम से कम यह तो सोचो िक शायद ग़लती हो गई हो और शायद यह लड़ाई तुCहारी, खुदा से हो।’’ (अरबईन नCबर 4 पृH 27)

    ‘‘ईJरीय चमKकार और बरकत. और ईJर कL शिM क* काम क*वल इPलाम म. ही पाए जाते हS और दTिनया म. कोई ऐसा धमW नहX जो इन चमKकारY म. इPलाम का मुकाबला कर सक*। इस बात क* िलए खुदा तआला ने सारे िवरोिधयY को आरोपी और िन[\र करने क* िलए मुझे ^Pतुत िकया है और मS िन:स`देह जानता aँ िक िह`दTc और ईसाइयY और िसdखY म. एक भी नहX जो ईJरीय चमKकारY, Pवीकाfरताc और बरकतY म. मेरा मुकाबला कर सक*। यह बात Pपg है िक िज़`दा धमW वही धमW है जो ईJरीय चमKकार अपने साथ रखता हो और jयापक िवशेषता का नूर उसक* िसर पर चमकता हो, अत: वह इलाम है। dया ईसाइयY म. या िसdखY म. या िह`दTc म. कोई ऐसा है जो इसम. मेरा मुकाबला कर सक* ? अत: मेरी सoाई क* िलए यह पयाWp ^माण है िक मेरे मुकाबले पर कोई ठहर नहX सकता। अब िजस तरह चाहो अपनी तसëbी कर लो िक मेरे ^ादTभाWव से वह भिवsयवाणी पूरी हो गई जो बराहीन अहमfदया म. क़uरआन कL इvछानुसार थी और वह यह है िक :-

    ٖهّ

    ُِ

    ْ"ِ لك ِّ

    الدَ

    ' ٗ

    ِهَرەْ

    َّقِ ِلُیظْ

    ی َوِدْ"ِ احلٰ

    ُهدْٗه 4ِل

    َ َرُسْول

    َْرَسل

    َِذٓیْ ا

    َُّھَوال

    (ितयाWकuल क़uलूब पृH 54)‘‘यह मनुsय कL बात नहX ख़ुदा तआला का इzहाम और

    ^तापी ख़ुदा का काम है... इPलाम क* िलए िफर उसी ताज़गी और चमकार का fदन आएगा जो पहले समयY म. आ चुका और वह सूयW अपनी पूरी िवशेषता क* साथ िफर चढ़ेगा जैसा िक पहले चढ़ चुका है। लेिकन अभी ऐसा नहX। अव}य है

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    Ver 2016.04.18/05

    िक आसमान उसको चढ़ने से रोक. रहे जब तक िक मेहनत और जॉंिफ़शानी से हमारे िजगर खून न हो जाएँ और हम सारे आराम@ को उसक. AाकाBय क. िलए न खो दF और इHलाम कI AितJा क. िलए सारे अपमान Hवीकार न कर लF। इHलाम का िज़Pदा होना हम से एक िफ़Qदया (क़TबाUनी) चाहता है, वह Yया है ? हमारा उसी राह मF मरना। यही मौत है िजस पर इHलाम कI िज़Pदगी, मुसलमान@ कI िज़Pदगी और िज़Pदा ख़ुदा कI तजëbी आधाQरत है और यही वह चीज़ है िजसका द_सरे श`द@ मF इHलाम नाम है। इसी इHलाम का िज़Pदा करना अब ख़ुदा तआला चाहता है।’’ (फतह इHलाम, पृJ 11)

    नोट :- अब हम इस िवषय को िनgनिलिखत पाँच महhवपूणU खjड@ मF वणUन करFगे।

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    Ver 2016.04.18/05

    पॉंच मह!वपूण% ख'ड

    1. इमाम महदी अलैिह+सलाम क/ 1ाद3भा5व का समय ?2. इमाम महदी अलैिह+सलाम क/ 1ाद3भा5व का 8े: ?3. इमाम महदी अलैिह+सलाम क/ 1ाद3भा5व क;

    िनशािनयॉं?4. इमाम महदी अलैिह+सलाम क/ 1ाद3भा5व क;

    1ती8ा !5. इमाम महदी अलैिह+सलाम क; कCछ घोषणाएँ और

    उपदेश !

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    Ver 2016.04.18/05

    थम खड

    इमाम महदी अलैिह*सलाम क- ाद.भा0व का समय

    (तेरहव7 िहजरी शता:दी का अ;त काल + चौदहव7 िहजरी शता:दी का ारंिभक काल)

    क़!रआन करीम पर पणू,त: .यान देने और हदीस8 क9 अ.ययन एवं उ@मत क9 बुजुगE क9 रोअया, कHफ़ और वण,न8 से JपK होता है िक हज़रत इमाम महदी अलैिहJसलाम (जो मसीह मौऊद भी हU) क9 WादXभा,व का समय और काल तेरहवY िहजरी शता[दी का अ\तकाल या चौदहवY िहजरी शता[दी का Wारंिभक काल है।

    (क) क़Bरआन मजीद कE FिG से

    (1)َن

    َاك ٍم ْ!َ ِيفْ ْیِه

    َِال

    ُیَْعُرج

    َّم

    ُث ْرِض

    َ ْاال

    َِاىل ِء

    َٓما

    َالّس َ9ِ ْمَر

    َ ْاال ُ ّ;ِ

    َیُد

    (6 اہ، آ ْوَن("رۃ 

    ُُّعد

    ََّا ت

    ّ َسـَنٍة ِمم

    َف

    ْل

    َ ا

    ٓ ٗاُرە

    َد

    ِْمق

    अथा,त अëbाह तआला आसमान से धरती कa ओर अपने फdसले का Wब\ध करता रहेगा, िफर एक अविध क9 बाद वह धम, आसमान कa ओर उठ जाएगा िजसका समय तु@हारी गणना क9 अनुसार एक हज़ार वष, है।

    आँहज़रत सëbëbाh अलैिह व सëbम ने इJलाम कa पहली तीन िहजरी शताi[दय8 को समJत शताi[दय8 से jेk ठहराया है िजसक9 बाद धम, आसमान कa ओर चढ़ना था िफर पूरा एक हज़ार वष, बीतने क9 बाद पुन: स\माग,दश,न सुिनयोिजत था। घटनाo कa pिK से यह सqय है िक तेरह शताi[दयॉं बीतने

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    Ver 2016.04.18/05

    क! प$ात वह समय आ गया िक संसार क! सम1त धम4ंे क! अनुयायी वत:मान युग क! अवतार क;

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    Ver 2016.04.18/05

    ْوَن ُ ّ

    ُعدََّا ت

    ٍّة مم

    َِف َسن

    ْ ل

    َ َ َرّبَِک اك

    َ ِعْند

    ًما ِاّن 5َْ

    िक #या&याकार कहते ह+ िक छ: -दन जो क़5रआन करीम म9 आए ह+ िजन म9 धरती और आसमान पैदा िकया गया है वह नबी और रसूलF कG छ: दौरF कI ओर संकGत करते ह+। हर दौर एक -दन का और हर -दन एक हज़ार वषO का है। जैसा िक क़5रआन करीम म9 िलखा है िक एक -दन तेरे रQब कG िनकट तुTहारी गणना कG अनुसार एक हज़ार वषO कG बराबर है।

    क़5रआन करीम से उXृत इस #या&या कG अनुसार सातव9 हज़ार का इमाम जो क़ाइमुल िक़याम: या महदी है, हज़रत िमज़ाO ग़ुलाम अहमद अलैिह]सलाम कG ^प म9 _कट `आ।

    (तोहफा गोलड़िवया, पृd 154, लेeचर िसयालकोट)(3)

    ْريِ َغ ْم 9 ْهيِ

    ََعل َعْمَت

    ْن

    َا ِذْ@َ

    َّال اَط ِرصَ ـِقْیَم

    َُمْست

    ْال اَط َ ِاْھِدJَالِرصّ

    (6-7 ا، آ O("رۃ  ْنيَ

    ِّل

    ۗا

    َّالض

    َْم َوال ْهيِ

    َْوِب َعل

    ُض

    َْمغ

    ْال

    इस आयत कI #या&या म9 अëbामा इमाम सैयद महमूद अलवसी मुhती बग़दाद िलखते ह+ :-

    ی ٰرصَٰ

    ْنيَ الّنِّل

    ۗا

    ََّهيُْوُد َوVِلض

    ْل

    َْم ا ْهيِ

    َْوِب عل

    ُض

    َْمغ

    ُْمراُد Vِل

    ْل

    َا

    (82 # اّول   $ ا&%  (روح अथाOत मज़ूब अलैिहम से यkदी और %ाëbीन से ईसाई

    ताmपयO ह+। यही अथO इमाम अहमद िबन हंबल रिज़यëbा` अn`, इQने हबान इQने जरीर और इQने अबी हाितम ने रसूलëुbाह सëbëbा` अलैिह व सëbम कI -रवायत से बयान िकए ह+ और मेरे oान कG अनुसार #या&याकारF ने इन अथp से मतभेद नहr िकया। (उसी से उXृत)

    ]पs है िक यk-दयF और ईसाइयF म9 अnतर हज़रत मसीह इQने म-रयम कG आने से `आ जो हज़रत मूसा अलैिह]सलाम कG बाद तेरहवr शताQदी कG अnतकाल म9 आए थे, इसिलए

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    Ver 2016.04.18/05

    अव"य था िक उ*मते मुह*म0दया का मसीह भी उसी तरह तेरहव8 शता:दी क; अ ?कट होता। अत: मौलाना हाली, अबुल खैर नवाब नूKल हसन खान सािहब, नवाब िसLीक़ हसन खान सािहब और अëbामा इक़बाल क; कथनानुसार उ*मते मुह*म0दया म> भी यP0दयQ और ईसाइयाें कT सी यह हालत पैदा हो गई िजसे देखते Xए अëbामा ने कहा :-

    वज़ा म> तुम हो नसारा तो तमL\न म> हनूदये मुसलमॉं ह^ िज देखकर शमा_एँ यPद

    (4)ِاٰىل

    َٓنا

    ْْرَسل

    َا

    ٓـَما

    َک ْم

    ُْیک

    ََعل اِهًدا

    َش

    ًَرُسْوال ْم

    ُْیک

    َِال

    َٓنا

    ْْرَسل

    َا

    ٓ َِا7ّ

    (16 (ا، آ oً

    ِفْرَعْوَن َرُسْوالहे लोगो ! हमने तु*हारी ओर एक ऐसा रसूल भेजा है जो

    तुम पर उसी तरह िनगरान है िजस तरह िफरऔन कT ओर रसूल भेजा था। मानो आँहज़रत सëbëbाX अलैिह व सëbम मूसा नबी कT तरह ह^। इस िलए मूसवी िसलिसला कT तरह मुह*मदी िसलिसला म> भी तेरहव8 शता:दी बीतने पर मसीह मौऊद (इमाम महदी) का आना आव"यक था।

    (5)ِيف ْم ُ

    َّهن

    َْخِلف

    ََيْست

    َل ِلٰحِت

    ٰالّص وا

    ُِل

    ََومع ْم

    ُِمْنک َمُنْوا

    ٰا َHِْذ

    َّال ُهللا َوَعَد

    (56 ا!ر،آ ($رۃ  ْبِلِهْم َِذNِ َHْْ ق

    َّ ال

    َف

    َْخل

    َـَما اْست

    َْرِض ک

    َ ْاال

    अëbाह तआला ने अjछे कम_ करने वाले मोिमनQ से वादा कर रखा है िक उ धरती म> अव"य खलीफ़ा बनाएगा िजस तरह िक उनसे पहले लोगQ को खलीफ़ा बनाया।

    इस आयत को वण_न करक; हज़रत अली इ:ने Xसैन ने फ़रमाया :-

    َمْهِدّیِْْت ِيف ال

    َل َ

    َR

    िक यह आयत इमाम महदी क; बारे म> अवत0रत Xई है।

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    Ver 2016.04.18/05

    इसी तरह अबू अ*द,ëbाह से विण3त है िक इससे महदी और उसक: जमाअत ता

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    Ver 2016.04.18/05

    (1)

    ْنيَِ ت

    َ ِٔما

    َْ*ُت َبْعَد ال

    ٰ ْال

    َا

    دؓۃ) ا      ! "رك  و  *(، ' 271، ا& $#  (+ۃ अथा#त इमाम महदी क. िनशािनयॉं आँहज़रत सëbëbा=

    अलैिह व सëbम क. िहजरत कB बाद दो िवशेष शताGHदयॉं छोड़कर एक हज़ार वष# बीतने पर Mकट हOगी। िनशािनयO का Mकट होना Rवयं इमाम महदी कB MादSभा#व कB समय का िनधा#रण है। अथा#त तेरहवW िहजरी शताHदी बीतने पर।

    (2).ِن

    َِٔما

    َّو

    ٌف

    ْل

    َا َمَضْت ا

    َِاذ َم

    ََّوَسل ْیِه

    ََعل ُهللا

    ََصّيل هللاِ

    َُرُسْول

    َال

    َق

    ۔ َ

    َمْهِدّیْ یَْبَعُث ُهللا ال

    ًة

    َْرَبُعْوَن َسن

    ََوا

    (209 ' 2 - ا/.  (ا3 आँहज़रत सëbëbा= अलैिह व सëbम ने फ़रमाया िक जब

    एक हज़ार दो सौ चालीस (1240) वष# बीत जाएँगे तो अëbाह तआला महदी को पैदा करेगा।

    (3)َها

    َل ُد َّدِ

    ُّجي ْOَ ٍة

    ََسن ِة

    َِمائ ِ

    ّ ُلك ِس

    ٔTَٰ َرا ِة

    َّم

    ُ ْاال ِلٰهِذِە یَْبَعُث َهللا

    َِاّن

    2 - داؤد  ا4  و  ا5  ' 14 6ب  د:   ;<  = (

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    ر ا  ا    را  آں   "# $ل  دہ   & د'  )ر   )*  +  ,و -د  .ں  / ا01  2  3 4رت   57ٰ0 89 :وِل و  ا;م   9 ?ى 

    EF 139 H 1291ھ)  IاJا   KLKMN) Q۔  R

    अथा#त चौदहव+ शता-दी (िहजरी) 5ारंभ होने म= दस वष# शेष ह@। यCद इसम= महदी व ईसा का 5ादGभा#व हो जाए तो वही चौदहव+ शता-दी कI मुजCKद व मुLतिहद हMगे।*- पिQका ‘अRजुमन ताईदे इSलाम’ कI अ5ैल अंक सन्

    1920 ई. म= िलखा गया :-हदीसM म= मCरयम व इ-ने मCरयम नाम आया है िक वह

    शता-दी कI सर पर आएगा और चौदहव+ शता-दी (िहजरी) का मुजCKद होगा।

    (4)हज़रत अबू जाफर पुQ मुहaमद से विण#त है :-

    ها ُل ّوَ

    َا #َ

    َا

    ٌة

    َّم

    ُا ِلُک َهتْ ْیَف

    َک َم

    ََّوسل ْیِه

    ََعل ُهللا

    ََصّيل هللاِ

    َُرُسْول

    َال

    َق

    َمِسْيُح َْوال باِب

    ْل

    َ ْاال وِيل

    ُا َو َعَداِء الّسُ َEِ َبْعدْی ْEِ َعَرشَ َنا

    ِْاث َو

    (157 H   U 0VّWا (اXل  اQُْ َمْریََم ٰاِخُرَها۔ अथा#त आँहज़रत सëbëbाd अलैिह व सëbम ने फ़रमाया

    िक :-वह उaमत कgसे हलाक हो सकती है िजसकI 5ारंभ म= म@ hँ

    और मेरे बाद बारह सदाचारी और िवiान jयिk हM और मसीह इ-ने मCरयम उसकI अRत म= हM। यह वृmाRत िवnसनीय िशया िलटरेचर म= विण#त है और िशया िलटरेचर म= उaमते मुहaमCदया कI खलीफ़M कp समानता उaमते मूसवी कI खलीफ़M से आवqयक समझी गई है। (नूsल अनवार, पृu 56)

    मूसवी िसलिसला कI बारह िविशv खलीफ़M कI बाद चौदहव+ शता-दी कI सर पर मसीह इ-ने मCरयम आए। उaमते मुहaमCदया कI आwखर म= आने वाले का नाम भी मसीह इ-ने

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    Ver 2016.04.18/05

    म!रयम रखा गया है और उसका .ाद0भा3व भी बारह सौभा9यवान; क< बाद =आ है। िजससे CपE है िक उFमते मुहFम!दया का मसीह इJने म!रयम अथा3त इमाम महदी अलैिहCसलाम का भी चौदहवO शताJदी क< सर पर आना िनिQत था।5. लेखक ‘‘दिबCतान-ए-मज़ाहब’’ .कािशत सन् 1324

    िहजरी मW इCमाईिलया िफ़क़ा3 क< अक़[द; का वण3न करते =ए िलखते ह] :-

    از و  ا  ا        از  !رت  ا$#ں  آ%  &ى  ا'   ( و ِمائٍة لِٰث

    َث ّوَ ٍف

    ْل

    َا ِس رٔا ٰ/َ *(د   +  ,   - روا/. 0دق  1

    از   .23   4 ./5   ا6. در   7  8  9: ْمُس 4ِْ َمْغِرِهبَا۔>;.

    َُع الّش

    ََتْطل

    ا۔ ا       ?ن)   دو  @ب  از  355 C  DرE  FاG (دHن 

    िक महदी आ_ख़abज़मान, का CपEीकरण मुहFमद िबन अJद0ëbाह से है और रसूलëुbाह सëbëbा= अलैिह व सëbम क< कथन का वण3न करते =ए कहते ह] िक उeह;ने फ़रमाया तेरहवO शताJदी (िहजरी) पर सूरज पिQम से िनकलेगा। कहते ह] िक इस हदीस मW सूरज क< िनकलने से ताhपय3 इमाम महदी का .ाद0भा3व और .ाकाiय है।

    वCतुत: तीसरी िहजरी शताJदी मW इCमाईिलय; ने उपरोk CपEीकरण, हदीस से ٍف

    ْل

    َ अ_lफन) शJद को छोड़कर िकया) ا

    है। हालॉंिक यह क

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    Ver 2016.04.18/05

    क! अनुसार इमाम महदी अलैिह1सलाम तेरहव6 िहजरी शता:दी क! अ;तकाल और चौदहव6 िहजरी शता:दी क! ?ारंिभक काल मB ?कट होना था।

    (ग) उमत क! िव$ान' और सूफ/ स0त' क! 123ान एवं भिव7यवािणय' क/ :ि; से

    1. बारहव6 शता:दी िहजरी क! मुजIJद हज़रत शाह वलीउëbाह सािहब मुहJस देहलवी रहमतëुbाह अलैिह ने फ़रमाया :-

    َ ٔا َهتَّیَ

    ََمْهِدّی

    َْوال َبْت َ

    َرت

    ْاق ِد

    َق

    َِقٰیَمة

    ْال

    َّن

    َا ٗه

    َُجالل

    ََّجل ْ ِ

    َّرىب َمِىنْ

    ََّعل

    هیه جلد 2 صفحه 123)ُٰرْوِج۔(تفهEت ال

    ُخ

    ِْلل

    अथाQत बड़ी महानता वाले मेरे र:ब ने मुझे बताया है िक क़यामत िनकट है और महदी शीU ?कट होने वाला है।2. लगभग 800 वषQ पहले Iदëbी क! िनकट एक सािहब-

    ए-कZफ व करामात बुजुगQ (चम]कारी िस^ पु_ष - अनुवादक) नेमतëुbाह वली सािहब aए हb उनक! मशcर फारसी क़सीदा मB अd;तम युग क! हालात विणQत हb। उ;हfने अरबी वणाQgर ‘ग़’ ‘र’ कi सांक!ितक संjया अथाQत िहजरी सन् क! 1200 वषQ बीतने क! बाद अित मह]वपूणQ घटनाn क! ?कट होने का वणQन करक! फ़रमाया :-

    महदी-ए-वoत व ईसा-ए-दौरॉंहर दौरा शहसवार मी बीनम्

    िक महदी और ईसा क! समय को मb बड़ी तेज़ी से आता देख रहा cँ। (अरबईन फi अहवािलल महदीयीन ?कािशत 1268 िहजरी हज़रत नेमतëुbाह वली रहमतëुbाह अलैिह का असली कसीदा मuबा पािक1तान लाहौर)

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    Ver 2016.04.18/05

    3. अहले सु'त क* मश-र इमाम हज़रत मëुbा अली क़ारी रहमतëुbाह अलैिह ने हदीस ِْني

    َت

    َِٔما

    ْال َبْعَد َ*ُت

    ٰ ْال

    َ अल आयातु) ا

    बादल िमअतैन) का अथA बयान करते Bए फ़रमाया िक :-ُهْوِر

    ُُت ظ

    ِْف َوُھَو َوق

    ْل

    َ ْْنيِ َبْعَد اال

    َت

    َِٔما

    ُْم ِيف ال

    َّْوَن الال

    ُک

    َْن ّی

    َ ا

    َُتِمل َوَحيْ

    ۔ َمْهِدّیِْال

    وۃ جمتبايئ صفحه 271)ٰ

    وۃ جلد 5 صفحه 185 مشکٰ

    (مرقاۃ رشح مشک

    अथाAत इस हदीस मG िमअतैन पर शIद अिलफ लाम KपL करता है िक यह दो शताNIदयॉं नबी करीम सëbëbाB अलैिह व सëbम कR िहजरत से एक हज़ार वषA बीतने क* बाद िगनी जाएँगी। अथाAत 1200 वषA बाद िनशान Xकट हZगे और वही इमाम महदी क* Xकट होने का समय है।4. नवाब िस\ीक़ हसन खान सािहब ने इसी हदीस कR

    ^या_या मG िलखा है िक यह दो सौ वषA, िहजरत क* एक हज़ार वषA बीतने क* पbात् ताdपयA हe। जैसा िक कितपय िवfानZ ने इसकR यही ^या_या कR है। अत: Bजजुल िकरामा पृh 393 पर िलखा है िक :-

    ا  از    ۔  "د  #ت  ازا$  %ل   & دو    '() *اد ا+. -دہ   /' 0

    12 34  5 ْنيِ َت

    َٔ*ت بعد الِما

    ٓ6ر اال   8و7'

    5. हज़रत हािफ़ज़ बरखुदाAर िनवासी चkी शेखॉं िज़ला Kयालकोट ने अपनी िकताब ‘अनवाअ’ क* भाग नुज़ूल ईसा मG िलखा है िक :-

    िपoछे इक हज़ार दे गुज़रन िq सौ सालहज़रत महदी ज़ािहर होसी कसr अदल कमाल6. sी क़ाज़ी इतAज़ा अली खान ने अपनी पिqका ‘महदी

    नामा’ क* पृh 2 पर इमाम महदी का ज़माना तेरहवt िहजरी शताIदी से पuvहवt िहजरी शताIदी ठहराया है।7. Kव. मौलवी हकRम सैयद मुहxमद Bसैन Xमुख अमरोहा

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    Ver 2016.04.18/05

    ने भी महदी क) *कट होने का समय 1300 िहजरी िलखा है।(कवािकब दया पृA 155)

    8. जमालपुर क) मशFर सूफI मजज़ूब हज़रत ग़ुलाब शाह ने सन् 1278 िहजरी मN खबर दी िक :-

    ‘‘ईसा जो आने वाला था वह पैदा हो गया है।’’(िनशान-ए-आसमानी पृA 21)

    9. हज़रत Vवाजा हसन िनज़ामी दबीर हWका िनज़ामुल मशाइख =दëbी ने एक पYफलेट ‘शेख सZोसी और ज़Fर इमाम महदी आ\ख़^_ज़मान’ क) नाम से *कािशत िकया था। उaहbने िलखा िक सारा अरब इस ज़माने मN इमाम महदी अलैिहdसलाम कI *तीeा कर रहा है और सबक) अनुमान यही हf िक चौदहवi शताjदी िहजरी क) *ारंिभक काल मN ही *कट हbगे। अरब देशb क) अपने lमण क) समय अरब क) कई िवnानb से अपनी मुलाक़ात का वण>न करते pए अaत मN िलखते हf :-

    ‘‘qया आrय> है िक यह वही समय हो और सन् 1330 िहजरी मN सनोसी कI भिवsयवाणी क) अनुसार इमाम महदी का *कटन हो जाए और य=द वह समय अभी नहi आया तो सन् 1340 िहजरी तक तो *कटन अवtय है। qयbिक य=द अिधकतर बुज़ुगv कI भिवsयवािणयb का अवलोकन िकया जाए तो सन 1340 िहजरी तक सब का संयोग हो जाता है।’’ (उपरोw िकताब आ\खरी पृA)

    10. اغ   در  اُو  ُِر   "ر! د$ؒى %ّث  ا&  و'  (ہ   *

    +, -  . دو  /ار    0 وے  2ِد  3 4ب  و   567   د8

    ( 394 =  >6? @ABا آCر   D اEاeरb कI गणना कI yिz से एक

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    Ver 2016.04.18/05

    हज़ार दो सौ अरसठ (1268) िहजरी का समय बनता है।11. मौलवी अबू सईद मुह@मद Aसैन बटालवी ने अपने

    अखबार इशाअतुHसुI: िजKद 6, अंक 3 पृO 61 पर ईसा व महदी कP Qकटन को चौदहवS शताTदी िहजरी मU माना एवं वणXन िकया है।12. अबुल खैर नवाब नूYल हसन खान सािहब ने

    िलखा :-‘‘महदी अलैिहHसलाम का Qकटन तेरहवS िहजरी शताTदी पर

    होना चािहए था। िक\तु यह शताTदी बीत गई और महदी न आए अब चौदहवS शताTदी हमारे सर पर आती है... स@भव है िक अëbाह तआला अपनी कaपा और दयाbिc करे, चार छ: वषX कP अ\दर महदी Qकट हो जाएँ।’’ (इिgराबुHसाअत पृO 221)13. भोपाल कP शासक नवाब िसhीक़ हसन खान सािहब ने

    बड़ी जॉंच पड़ताल और तमाम् भिवmयवािणयn एवं िनशािनयn का िवHतारपवूXक अoययन करने कP पpात् अपनी िकताब मU िलखा :-

    دہ  از  دو  از    اُو  وِج   ا!   "  # ا$  و   %& از   '(۔  * +وز    دہ   , - ./ از  0د ور*  1ت  از  2ل 

    (394 6 ا8ا7    :; :<=)

    िक कई बुज़ुगq और rािनयn कP िनकट इमाम महदी का Qकटन िहजरी कP 1200 वषX बाद होगा लेिकन 1300 वषX से आगे नहS बढ़ेगा।14. अëbामा अvशअरानी (देहा\त सन् 976 िहजरी) ने

    अपनी िकताब ‘‘अलयवाक़wत वल जवाहर’’ मU िलखा है :-َبْعَد ِمَئَتْنيِ َو ِسْنيَ َمخْ

    ََسَنة َشْعَباَن ْ/ِ ْصِف الّنِ

    َة

    َْیل

    َل َمْوِلُدٗە ِف۔

    َْل

    ْاال

    (Qر االبصاريف مناقب ٰال بيت النىب المختار للشيخ الشبکن?)िक इमाम महदी अलैिहHसलाम का ज\म सन् 1250 िहजरी

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    म! होगा।15. हज़रत शाह अ-द0ल अज़ीज़ मुह5स देहलवी (देहा:त

    सन् 1239 िहजरी) अपनी िकताब ‘‘तोहफा इEना अशFरया’’ कH सIम खKड म! इमामत कH िवषय म! फरमाते हN िक अहले सुOत महदी कH Pकटन को हज़ार वषR से पहले कदािप नहS मानते TयUिक उनकH िनकट कयामत कW िनशािनयU का Pकटन सन् 1200 िहजरी गुज़रने कH पXात होगा।16. इमाम महदी अलैिहEसलाम कH िनशान चॉंद-सूरज

    _हण कH बारे म! जनपद मुaतान कH एक बड़े िवdान हज़रत शेख अ-द0ल अज़ीज़ पहारवी का मशeर शैर है :-

    د ا  ان  دو   ! در" د ا  $ں  دو  %ل  د'&ّ و  )ى  از( 

    िक ‘‘ग़ाशी’’ कW संhया अथाRत् सन् 1311 िहजरी म! यह दो _हण हUगे जो महदी और दkाल कH Pकट होने का िनशान हUगे। (हलिफया बयान अहमद खान सािहब खाकवानी अफ़गान पुm अ-द0ल खािलक खान खाकवानी मुaतानी, बदर 14 माचR सन् 1907 ई., इसकH अितFरp देख! हक़Wक़तुल वrी)17. हज़रत शेख मुहीउ5ीन इ-ने अरबी रहमतुëbाह (देहा:त

    सन् 628 िहजरी) ने फ़रमाया :-ِهْجَرِۃ۔

    ْْوُن ُظُهْوُرٗە َبْعَد َمِيضِّ خ ف ج َبْعَد ال

    َُو یَک

    حسن سعد موال> از Aمجه 354 صفحه خلدون Jا (مقدمه (Nخان صاحب [س\ فاضل اٰلهیات احص المطابع ،کرا

    अथाRत इमाम महदी का Pकटन िहजरत कH बाद ख, फ, ज, कH गुज़रने पर होगा। िहजरत कH वणाRsर (िह+ज+र+त) = (5+3+200+400) कW संhया 608 और ख+फ+ज= (600+80+3) कW संhया 683 बनती है मानो महदी का Pकटन 608+683=1291 िहजरी म! होगा।

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    18. हज़रत शेख़ अ)द+ल क़ा0दर जीलानी रहमतुëbाह अलैिह (देहा;त 561 िहजरी) का एक मह?वपूणD कEफ है :-

    ‘‘एक 0दन आलमे िजJ व इ;स (अथाDत समNत मानव जगत) कP पेशवाई मR हज़रत सैयद अ)द+ल क़ा0दर जीलानी रहमतëुbाह अलैिह िकसी जंगल मR ख़ुदा पर Uयान लगाए बैठे थे। अचानक आसमान पर एक मह?वपूणD नूर Zकट \आ िजससे सारी द+िनया रोशन हो गई। यह नूर

    ًفساعة

    ً (पल पल) ساعة

    बढ़ता और रोशन होता गया। उससे दयनीय उaमत कb अगले और िपछले औिलयाd ने रोशनी हािसल कP। हज़रत ने िवचार िकया िक इस िमसाल मR िकसी िसeपुfष को 0दखाया गया है। 0दल मR बात डाली गई िक यह नूर वाला तमाम् उaमतk कb अगले िपछले औिलयाd से बढ़कर है। पॉंच सौ वषD बाद पैदा होकर हमारे पैग़aबर सëbëbा\ अलैिह व सëbम कb धमD को ताज़ा करेगा। जो उसकP स?संगित से लाभाq;वत होगा वह सौभाrयशाली होगा। उसकb बेटे और ख़लीफ़ा खुदा कb िनकट ब\त बड़ा Nथान पाने वालाें मR से हu।

    (हदीक़-ए-महमू0दया अनुवाद रौज़ा कvयूिमया, पृy 32)हदीक़:-ए- महमू0दया मR इस कEफ को बारहवz शता)दी

    िहजरी कb मुज0{द कb बारे मR बताया गया है। िक;तु इस कEफ मR पॉंच सौ वषD कb बाद पैदा होने वाले मुज0{द-ए-दीन को सारी उaमतk कb अगलk और िपछलk से |ेy ठहराया गया है। इसिलए यह Nथान हमारे िनकट खा?मुल खुलफा (अथाDत सब मुज0{दk कb िशरोमिण) हज़रत इमाम महदी अलैिहNसलाम का ही हो सकता है न िक बारहवz शता)दी िहजरी कb मुज0{द रहमतëुbाह अलैिह का।19. \जजुल िकरामा कb लेखक ने समNत अनुमानk कb

    अनुसार इमाम महदी अलैिहNसलाम कb चौदहवz िहजरी शता)दी

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    क! #ारंिभक काल म+ #कट होने क1 पूरी संभावना वण:न क1 है :-

    دارد۔ ى  ال  آہ     ! $ى، "  %ر   & '()  *  "(52 , ا.ا-    /0

    /13)20. हज़रत बाबा गुDनानक रहमतुëbाह अलैिह कहते हF :-‘‘आवन अठहIरे जान सIानवे होर भी उठ सी मद: का

    चेला।’’ (PQथ सािहब तंग मुहëbा पृT 137)अथा:त पूण: िसVपुWष (मुहYमद मुZतफ़ा सëbëbा\ अलैिह

    व सëbम जो पूण:त: पिव] और पूण: माग:दश:क हF) का एक पूण: िशaय पैदा होगा जब सYवत् 1878 आएगा और सYवत 1897 बीत जाएगा अथा:त 1821 ई. से 1840 ई. क! मeय आने वाला, पूण: िसVपुWष का िशaय कहलाएगा।21. इZना अशरी क! कgछ लोगi का िवचार है िक :-‘‘उjीसवk या बीसवk शताlदी ईसवी का आरYभकाल ही

    इमाम महदी अलैिहZसलाम क! #ादmभा:व का ज़माना है। सन् 1912 ई. का ज़माना ऐसा ज़माना है जो (आeयाopमक Dप से) खुदा क! युV Zतर कानून क1 शुDआत का इrछsक है। इस समय ऐसी ताक़त क1 आवuयकता है जो मशीनi क1 खुदाई को तोड़े, िजZम परZती को िमटाए। मनुaय को िजZम परZती से छsटकारा xदलाकर आeयाopमकता क! yे] म+ लाए... इZलाम क1 पxरभाषा म+ यही ताकत zी इमाम अलैिहZसलाम है।’’

    (पि]का ‘‘बुरहान’’ नवYबर सन् 1912 ई., पृT 47-52)22. शाह अlद