Sample Copy. Not For Distribution. · काव्य-देिता को र्ैं...
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छप्पन भोग कविताओ ंका संग्रह
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Publishing-in-support-of,
EDUCREATION PUBLISHING
RZ 94, Sector - 6, Dwarka, New Delhi - 110075 Shubham Vihar, Mangla, Bilaspur, Chhattisgarh - 495001
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ISBN: 978-93-88381-88-8
Price: ₹ 285.00
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Printed in India
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छप्पन भोग
कविताओ ंका संग्रह
प्रो. विप्रा िर्ाा
EDUCREATION PUBLISHING (Since 2011)
www.educreation.in
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छप्पन भोग
कविताओ ंका संग्रह
(विवभन्न कविविवििो ों की कवितािें)
सोंकलन और सोंपादन
प्रो. विप्रा िर्ाा
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किविवििााँ
अर्ाना वसोंह
डॉ. ऊषा वसोंह
प्रो. विप्रा िर्ाा
डॉ. कुसुर् विश्वकर्ाा
नवर्ता िर्ाा
नजर्ा आकबानी र्ोभ
डॉ. विखा तेजस्वी
नइर्ा इम्तििाज़ िर््अ
प्रवर्ला वसोंह
िुभ्रा ‘पला’
प्रवतभा ए. पाणे्ड
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छप्पन भोग
“समस्त नारी शक्ति को समर्पित”
सोंकलन और सोंपादन
प्रो.विप्रा िर्ाा
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भूवर्का
‘छप्पन भोग’
सुनो !...आजकल मगर कोई र्कसी की सुनता ही नही ीं तो
अर्िव्यक्ति के र्लये र्िर र्लखना ही पड़ेगा | और र्लख र्लया,
र्िर उसे र्कसी उपाय से पढ़वाना िी पड़ेगा ! क्या कहा –
र्नजी डायरी, कॉपी, राईर् ींग पैड...? अजी, वो कौन पढ़ेगा ? जो
कोई पढ़ने वाला होता तो शायद र्लखने की नौबत ही नही ीं आई
होती | और, कौन से हम पैदाईशी कर्व हैं ? तिी तो र्सिि
सुनना, गुनना, गाना, झमूना, नाचना और खेलना-खाना -- बस
इतना ही तो आता था हमें !
हााँ, तो सूचना क्ाींर्त तकनीकी से कुछ मदद ली जाये
कम्प्यू र और मोबाईल पर, अर्िव्यक्ति के तारोीं को लपे
कर, र्वचारोीं के शब्ोीं को ाईप र्कया जाये और सोशल
मीर्डया पर िैलाया जाये?... मगर उसमें िी, र्वचारोीं और तथ्ोीं
और सम्पकों को डीली करने में र्कतना वक़्त ही लगता है
िला ? उसके बाद..... र्िर एक शून्यता, एक ररिता का
आिास ! ध्यान से सोचा तो, र्वचारोीं और हमारे रसोई के
व्यींजन में कािी कुछ समानता दीख पड़ी | बस तिी, यह
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र्वचार कौींधा र्क ऐसी ही कई रसोईघर और व्यींजन—अथाित
“कर्वर्यत्री और उनकी कर्वताओीं” को एकत्र कर एक
“छप्पन-भोग” सींग्रह तैयार र्कया जाये ! अकेले-अकेले सिी
सिर कर ही रहे थे, मेरे मन में आया- क्योीं न साथ र्मलकर
पकाये-खाये, जीवन का समू्पर्ि आनींद उठाये | मेरे इस
महाअर्ियान में साथ देने के र्लये कुछ महार्वदूषी और सरल,
सहज क्तियाीं- अथाित कर्वर्यर्त्रयाीं, पूरे जोशो-खरोश से आ
गईीं | सिी जीव नाररयाीं इतनी कोमलता िरी िी हैं, यह पुन:
आर्वष्कार करने का अनुिव मुझे प्राप्त हुआ ! सब–के-सब
अनूठी, मौर्लक रचनाकार, मगर दुर्नया की नज़रोीं से दूर !
...तो मैंने सबके इदि-र्गदि ‘सीसी ीवी’ कैमरा लगा कर साल िर
इनकी हलचल को ररकाडि कर र्लया ! दुर्नया की नज़रोीं से
छुप कर यह जो काव्यात्मक गर्तर्वर्धयाीं करती थी ीं वह सब मेरे
सामने आते ही मेरा र्वचार प्रबल हो उठा र्क इन सबको
प्रकाश में लाऊीं | मेरा सौिाग्य र्क इन सिी ने मुझे िरपूर
सहयोग र्दया तार्क इस महती स्वप्न को साकार कर सकूीं ।
र्वदूषी प्रोिेसर डॉ, कुसुम र्वश्वकमाि, डॉ. उषा र्सींह, नर्मता
वमाि, पे ें ए ॉरनी डॉ. र्शखा तेजस्वी ‘ध्वर्न’, कलाकार शायरा
नइमा इक्तियाज़ ‘शम्अ’, पत्रकार नजमा अकबानी मोि,
सरकारी र्शक्षर् में कायिरत अचिना र्सींह, शुभ्रा ‘पलि’, प्रर्मला
र्सींह, र्शर्क्षका प्रर्तिा पाींडे… सिी की अनमोल काव्य
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रचनाओीं से यह “छप्पन भोग” सुसक्तित है और काव्य-
रर्सकोीं को अिूतपूवि अनूिूर्त देने को तैयार है ! इस अनूठे
सींकलन की नी ींव 15 अगस्त, 2018, को पड़ी जो र्क इस बात
का द्योतक है र्क ये र्वरल वीराींगनायें र्कस प्रकार से अपनी
अक्तस्तत्व की स्वतींत्रचेत्ता को स्थार्पत करने को तैयार है | दसोीं
र्दशाओीं, दसोीं आयामोीं में, सींघषों से जूझकर ये सिी अपने
उन्नयन को उनु्मख हैं ! इस सींग्रह से पे्रररत होकर ये सिी
अपना- अपना एकल सींग्रह िी िर्वष्य में अवश्य प्रकार्शत
करेंगी, यह मेरा दृढ़ र्वश्वास है ! मुझे इस महायज्ञ के सूत्रधार
की िूर्मका र्मली है जो मैं इन सिी गुर्वींती, सुशील और
सरल नाररयोीं के सहयोग से र्निा सकी | प्रते्यक कर्वर्यत्री
स्वच्छीं दता से अपनी कर्वता का चयन करके, अपने प्रथम
साझा सींकलन में अपने र्वचारोीं को स्वतींत्र रूप से अर्िव्यक्ति
प्रदान कर रही ीं है | सिी की कर्वताओीं का सींयोजन, सींकलन
का कायि करते हुए मुझे इन सिी के उत्साह ने पे्रररत र्कये रखा
है और जब यह पुस्तक के रूप में प्रसु्तत है तो मुझे इन सबसे
िी दूना हषि का अनुिव हो रहा है ! धन्यवाद !!
प्रोिेसर र्शप्रा वमाि
मुम्बई, िारत ।
Email: [email protected]
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mailto:[email protected]
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पुस्तक के बारे र्ें
‘छप्पन भोग’ संग्रह विवभन्न र्वहला कविविवििो ंके विविध भािो ं
र्ें उकेरे हुए कविताओ ंका संकलन है | चाहे िह कलाकार,
वचिकार, पिकार, विविका, व्याख्याता, रेवििो-उद्घोविका,
िैज्ञावनक हो िा अपने कररिर को अपने पररिार के वलिे
त्यागने िाली गृहस्वावर्नी- आज की इन चैतन्य, जागरुक
र्वहलाओ ं के विचारो ं और भािो ं र्ें कर्ो-बेि एक सर्ानता
पररलवित होती है | र्वहलाएं अवभव्यक्ति र्ें सरलतर् से
जविलतर् भी हो जाती हैं | इनकी क़लर् से वनकलने िाली
रचनाओ ं का आिार् बहुत विसृ्तत है | सामान्य जीिन की
गवतविवधिां, बचपन, जिानी, संबंधो,ं सुख-दु:ख, प्रकृवत-
विकृवत...और विर कई अन्य आिार्- जीिन का िलसिा--
आध्यात्म तक... अर्ाात ‘िून्य से विखर’ की अद्भुत िािा के
आनंद प्राक्ति का अनुभि, इनकी कविताओ ंसे हो जाता है | तो,
संिेप र्ें - विविध रस, विवभन्न विचार और अलग-अलग र्वहला
कविविवििो ं की िह वर्ली-जुली ‘िेराईिी’ र्तलब “छप्पन
भोग” संग्रह पाठको ंको एक नए ही तरह का स्वाद परोसने को
प्रसु्तत- तैिार है | िह निीन प्रिोग, वसिा और वसिा र्वहलाओ ं
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की रचनाओ ंका संकलन, इसवलए भी अनूठा है क्ोवंक र्वहला
द्वारा संकवलत केिल र्वहलाओ ं के र्ौवलक रचनाओ ं को
प्रकाि र्ें लाने का िह प्रिास स्त्री-सिक्तिकरण की वदिा र्ें
एक और कदर् है ! इस संग्रह के अनूठेपन के वलए, इसकी
विविध काव्य रस के वलए पुस्तक से आनंद प्राक्ति की ित-
प्रवतित गारंिी, र्ानो सुवनवित है |
िह है “छप्पन भोग”!
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“छप्पन भोग”
र्ैं िब्ो ंके बाग र्ें जाऊं,
अनुपर्, संुदर चुन ले आऊं
विर िब्ो ंके हार बनाऊं
काव्य-देिता को र्ैं चढ़ाऊं !
कविता “भजन” सी गाती-गाती
रसोई र्ें अपनी र्ैं जाऊं,
हािकू का तड़का लगाकर
िब्ो ंको र्ैं खूब उबालंू !
विर िर ॉविंग कर्रे र्ें जाऊं
िब्ो ंसे र्ैं ‘िे’र’ बनाऊं
परदे, कविताओ ंके लगाऊं
पिन-घंिी गीतो ंके बजाऊं !
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भरी दोपहरी भोजन की बेला
वं्यजन कविताओ ंके पकाऊं,
खट्टा-र्ीठा, तीखा- नर्क़ीन
कड़िा देख के जी वर्चलाऊं !
संघिों की अवतिृवि को,
काव्य कवनष्ठा से है धारा !
कविता के छप्पन भोग ने है
रु्झको इतना अवधक संिारा !!
----- विप्रा िर्ाा -----
QR
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सूची-क्रर्
क्र विषि पृष्ठ
1 सुनो 3
2 ख्वाबो ंका इज़हार 8
3 जो भी नही ंज़रूरी 10
4 र्ौसर् अलबेला 12
5 िुद्ध र्ें भी शंृ्गार 14
6 ऋतुएं 16
7 उि नही ंकरते 18
8 ज़ख्ो ंकी बारात 19
9 पुन: भेंि की आिा 23
10 बेकसूर 24
11 क़ैदी 26
12 जीिन संध्या 28
13 वकसान 30
14 तुम्हें बसंत वर्लेगा 33
15 प्यार 35
16 िरर्ाईि 39
17 इबादत 41
18 र्ैं सर्झदार बन रहा हूँ 42
19 न र्कना तू 44
20 आठिां आसर्ान 46
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21 कब्जा 48
22 र्ां बा आई 49
23 पता छोड़ जाना 50
24 सूक़ून 51
25 हादसा 55
26 रे्री र्ां 56
27 सू्किर 58
28 िो लड़की 60
29 िाद आती है 62
30 आईना 66
31 तेरी परछाई 67
32 बच्चा र्ैं वकस घर का 68
33 वचवड़िा रानी 70
34 वबल्ली क्तखवसिानी 71
35 र्र्ता 75
36 सर्झदार 77
37 पापा 79
38 बचपन 81
39 प्रीवत का प्रर्ाण 83
40 संगर् 87
41 र्ां सरस्वती 89
42 रे्रा र्न 90
43 ररशे्त 92
44 घर का जन्मवदन 94
45 रं्वज़ल 98
46 ररश्ता 100
47 आज़ादी 101
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xvii
48 र्सीहा 103
49 पेड़ 105
50 आंखें 109
51 आनेिाला कल 110
52 बेवििां 112
53 िजह 114
54 र्रुस्र्ल 115
55 नारी और कश्ती 119
56 जीिन का है सार र्ौसर् 121
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xviii
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छप्पन भोग - कविताओ ंका संग्रह
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प्रो. विप्रा िर्ाा
िनस्पवत-विज्ञान र्ें स्नातकोत्तर के पिात कुछ सर्ि
सी.एस.आई.आर र्ें अनुसंधान कािा! तत्पिात कॉलेज र्ें
व्याख्याता के रूप र्ें कािारत | बचपन से ही काव्यात्मक रुवच
एिं गवतविवधिां | रेवििो एिं िेलीविजन से कविताओ ं का
प्रसारण, अनेक पि-पविकाओ ं र्ें कविताओ ं का प्रकािन,
इंिेरनेि पे भी कई पविकाओ ंजैसे अनूभूवत, रेवििो सबरंग पे
ऑवििो कविताएं, कवि-समे्मलनो ं र्ें वनरंतर उपक्तस्र्वत और
सवििता | कई सावहक्तत्यक पुरस्कारो ं से सम्मावनत ! अंगे्रज़ी
(Ravine and Peak), वहंदी (अवकंचन कवितािें) कविताओ ं
की एक-एक पुस्तक प्रकावित ! रंु्बई र्ें वनिास ! पहली बार
इस संग्रह के वलिे संपादन का कािा !
Email : [email protected]
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छप्पन भोग - कविताओ ंका संग्रह
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