Sample Copy. Not For Distribution.नार क क्तथथहत में क 4षक...

19
Sample Copy. Not For Distribution.

Transcript of Sample Copy. Not For Distribution.नार क क्तथथहत में क 4षक...

Page 1: Sample Copy. Not For Distribution.नार क क्तथथहत में क 4षक समाज के हवकास और राज्योों के जम के

Sample Copy. Not For Distribution.

Page 2: Sample Copy. Not For Distribution.नार क क्तथथहत में क 4षक समाज के हवकास और राज्योों के जम के

i

नारी आत्मविश्वास

बेटी बचाओ, बेटी पढाओ

स्वच्छ भारत, स्वस्थ भारत

Sample Copy. Not For Distribution.

Page 3: Sample Copy. Not For Distribution.नार क क्तथथहत में क 4षक समाज के हवकास और राज्योों के जम के

ii

Publishing-in-support-of,

EDUCREATION PUBLISHING

RZ 94, Sector - 6, Dwarka, New Delhi - 110075 Shubham Vihar, Mangla, Bilaspur, Chhattisgarh - 495001

Website: www.educreation.in ________________________________________________________________

© Copyright, 2018,

Pawan K. Bhati

All rights reserved. No part of this book may be reproduced, stored in a retrieval system, or transmitted, in any form by any means, electronic, mechanical, magnetic, optical, chemical, manual, photocopying, recording or otherwise, without the prior written consent of its writer.

ISBN: 978-93-88381-04-8

Price: `270.00

The opinions/ contents expressed in this book are solely of the authors and do not represent the opinions/ standings/ thoughts of Educreation or the Editors.

Printed in India

Sample Copy. Not For Distribution.

Page 4: Sample Copy. Not For Distribution.नार क क्तथथहत में क 4षक समाज के हवकास और राज्योों के जम के

iii

नारी आत्मविश्वास

लेखक:-

पिन के. भाटी

EDUCREATION PUBLISHING (Since 2011)

www.educreation.in

Sample Copy. Not For Distribution.

Page 5: Sample Copy. Not For Distribution.नार क क्तथथहत में क 4षक समाज के हवकास और राज्योों के जम के

iv

Sample Copy. Not For Distribution.

Page 6: Sample Copy. Not For Distribution.नार क क्तथथहत में क 4षक समाज के हवकास और राज्योों के जम के

v

पररचय

➢ प्राचीन समय से ही पुरुष और स्त्री मानव समाज के दो पहहए रहे हैं |और

पूरा समाज इन दो पहहयोों पर ही चल रहा है |अगर इस रथ के दोनोों पहहयोों

में से हकसी एक भी पहहये में कोई भी समस्या आ गई तो यह रथ रुक

जाएगा| इसहलए इस रथ को चलाने के हलए इस रथ के दोनोों पहहयोों को ठीक

प्रकार से चलाना होगा | और वैहदक युग में तो नाररयोों की पूजा भी की जाती

थी | और प्राचीन भारत में नारी का बहुत सम्मान हकया जाता था | इसी

कारण प्राचीन भारत में नारी की हिक्षा का बहुत ही प्रचार था | इसका

अनुमान हम इस बात से लगा सकते हैं| हक वेद की रचनाओों का बह़िया ज्ञान

नाररयोों को ही था|

➢ प्राचीन काल की नाररयोों को वेद पुराणोों का बहुत बह़िया ज्ञान रहता था |

प्राचीन काल में बहुत सी ऐसी नाररयोों को भी वेद पुराणोों का ज्ञान था| जो

कभी हिक्षा ग्रहण ही नही ों कर पाई थी | प्राचीन काल में बहुत सी ऐसी

नाररयाों थी जो हक सोंपूणण नारी समाज के हलए एक पे्ररणा की तरह थी| और

नाररयोों में लोपामुद्रा ,हसवाता, घोषा, गागी, अनुसुइया, साहवत्री जैसी और भी

बहुत सी नाररयाों हैं | उस समय भारती नाम की महहला ने हवश्व हवजेता

िोंकराचायण को हकसी भी चीज़ में पराहजत करना अपने आप में बहुत बडी

बात है|

➢ महहला सिक्तिकरण का मतलब महहला की िक्ति से होता है| आज के

समय में हर देि यही चाहता है| हक उसके देि की महहला खुद अपनी रक्षा

कर सकें यह हम सब जानते हैं| हक आज के समय में हमारे समाज की

महहलाएों हकसी भी पुरुष से कम नही ों है| आज कल की महहलाएों वह सभी

काम कर रही हैं| जो पुरुष करते हैं और अगर हिक्षा की बात करें तो

भारत में हर एक एग्जाम एों ड कों पटीिन में महहलाएों ही टॉप करती हैं|

हमारे देि में नारी का महत्व प्राचीन काल से है| प्राचीन काल में नारी का

महत्व हमारे समाज में बहुत ही ज़्यादा था| महहला सिक्तिकरण के हबना

देि व समाज में नारी को असली आजादी हाहसल नही ों हो सकती| वह

सहदयोों पुरानी मूढताओ और दुहषयो से लोहा नही ों ले सकती| बोंधनोों से मुि

होकर अपने हनणणय हनणणय खुद नही ों ले सकती| स्त्री सिक्तिकरण के

Sample Copy. Not For Distribution.

Page 7: Sample Copy. Not For Distribution.नार क क्तथथहत में क 4षक समाज के हवकास और राज्योों के जम के

vi

अभाव में वह इस योग्य नही ों बन सकती हक स्वयों अपनी हनजी स्वतोंत्रता और

अपने फैसलोों पर अहधकार पा सके|

➢ महहला अहधकारोों और समानता का अवसर पाने में महहला

सिक्तिकरण ही अहम भूहमका हनभा सकती है| क्ोोंहक स्त्री

सिक्तिकरण महहलाओों को हसफण गुजारे भते्त के हलए ही तैयार नही ों

करती बक्ति उन्हें अपने अोंदर नारी चेतना को जगाने और सामाहजक

अत्याचारोों से मुक्ति पाने का माहौल भी तैयार करती है| बेहतर

अहधकारोों और समानता का अवसर पाने में महहला सिक्तिकरण की

आवश्यकता को महसूस करते हुए हवश्व पटल पर नारी िक्ति को जागृत

करने के हलए हर वषण दुहनया भर में 8 माचण का हदन अोंतराणष्ट्र ीय महहला

हदवस के रुप में मनाया जाता है|

➢ नारी जागरण को समहपणत इस हदवस पर एक थीम तय की जाती है| यह थीम

हर साल अलग-अलग रखी जाती है| वषण 2017 की थीम थी| "BE BOLD

FOR CHANGE"

➢ याहन महहलाओों की क्तथथहत में सुधार करने के हलए महहलाओों को ही बोल्ड

होकर खुद आगे ब़िना होगा| क्ोोंहक नारी हवश्व की चेतना में माया है,

ममता है, और मुक्ति है| दूसरे िब्ोों में कहें तो जीवन मात्र के हलए करुणा

सजाने वाली महा प्रकृहत का नाम नारी है| नारी को हमारे जीवन में बहुत

सम्मान हमलना चाहहए और यही उनका (नाररयो) अहधकार है|

➢ हमारे आहद ग्रोंथोों में नारी को गुरुतर मानते हुए यहाों तक घोहषत हकया गया है

| "योंत्र नायणसु्त पूज्योंते रमोंते तत्र देवता" अथाणत जहाों नारी की पूजा होती है|

वहाों देवता हनवास करते हैं | और इससे हम ऐसे भी कह सकते हैं| हक हजस

हजस घर में नारी का सम्मान हकया जाता है| उस घर में हमेिा ही सुख िाोंहत

समृक्ति और खुिहाली छाई रहती है |

➢ नारी की क्तथथहत में कृषक समाज के हवकास और राज्योों के जन्म के साथ

हनणाणयक हगरावट आने लगी | इसमें हहोंदू समाज में जाहत सोपान नाम का

कें द्रीय सोंगठन कायण हसिाोंत पुरुष प्रधान की हवचारधारा की मुख्य भूहमका

रही है|

Sample Copy. Not For Distribution.

Page 8: Sample Copy. Not For Distribution.नार क क्तथथहत में क 4षक समाज के हवकास और राज्योों के जम के

vii

➢ इस हवचारधारा के कारण िूद्रोों और क्तस्त्रयोों दोनोों को वैहदक अनुष्ठानोों से

वोंहचत कर हदया गया| सावणजहनक जीवन जब-जब पुरुषोों का कमण के्षत्र बन

गया| तो क्तस्त्रयाों घरोों तक ही सीहमत रहो कर रह गई | लेहकन यहद यह

जीवन का एक सच था| हक क्तस्त्रयोों का अलगाव कोई हनरपवाद सावणभौहमक

प्रथा नही ों थी| समय-समय पर राजनीहतक, सामाहजक, आहथणक के्षत्रोों में धनी

और हनधणन लोगोों दोनोों वगों की क्तस्त्रयोों की अत्यहधक सावणजहनक सहियता के

प्रमाण भी हमलते है|

➢ रहजया सुल्तान, अहहल्या बाई, नूरजहाों, गुलबदन, हररम बेगम आहद

क्तस्त्रयोों के चररत्र उदाहरण स्वरूप हैं| प्राचीन समाज में महहलाओों का

बहुत सम्मान हकया जाता था और इसहलए हर एक कायण ठीक हो जाता

था| और अब महहलाओों के सम्मान के साथ साथ पुरुषोों की हकस्मत भी

बेकार हो गई| महहला िक्ति की सावणजहनक सहियता का प्रमाण

औपहनवेहिक काल में हुए 1857 के हवद्रोह में भी हदखाई पडता है| रानी

लक्ष्मीबाई, बेगम हजरत, महल रानी राजेश्वरी देवी, सुगरा बीबी, अदा

देवी, आिा देवी गुज्जर, भगवानी देवी, रणबीरी बाल्मीहक, झलकारी बाई,

अवोंती बाई, महाबीरा देवी आहद वीराोंगनाओों ने भाग लेकर समाज में

सदैव उपेहक्षत समझी जाने वाली महहलाओों की वीरता साहस और

सहिय भूहमका को बाहर लाकर राष्ट्र ीय, समाज के हलए कुछ कर गुजरने

का जज्बा प्रदान हकया|

➢ 19वी ों सदी में सामाहजक सुधार आोंदोलन की बात करें या २०वी ों सदी के

राष्ट्र ीय स्वतोंत्रता सोंघषण की नारी ने पुरुषोों के साथ भाग लेकर पुरानी

मान्यताओों को दरहकनार करते हुए अपनी िक्ति का जबरदस्त एहसास

कराया| आज हमारे समाज में नारी िक्ति की पहचान स्वतोंत्र, हजज्ञासु और

आत्महवश्वास से भरी स्त्री की तस्वीर में उभरकर एक ऐसी सोंघषणिील स्त्री

की तस्वीर उभरती है| आहथणक आोंकडे कहते हैं हक पोंजाब - हररयाणा की

तुलना में हबहार के अहभभावक दहेज का वजन झेलने में आहथणक रुप से

कम सक्षम है | बेहटयोों की भू्रण हत्या का दूसरा मूल कारण दहेज बताया

जाता है | यहद यह सत्य होता तो भी हबहार में हलोंग अनुपात पोंजाब -

हररयाणा की तुलना में कम होना चाहहए था| यहद भू्रण हत्या का कारण

अहिक्षा और दहेज नही ों तो हफर क्ा है| बेहटयोों की सामाहजक सुरक्षा में

आई कमी या नारी को प्रहतद्वोंदी समझ बैठने की नई पुरुष मानहसकता

अथवा बेहटयोों के प्रहत हमारे से्नह में कमी आई है|

Sample Copy. Not For Distribution.

Page 9: Sample Copy. Not For Distribution.नार क क्तथथहत में क 4षक समाज के हवकास और राज्योों के जम के

viii

➢ कारण की जड कही ों हकसी धमण-जाहत अथवा रूढी में तो नही ों कही ों ऐसा तो

नही ों हक औपचाररक साक्षरता में आगे हनकल जाने की होड में हम सोंवेदना

सोंबोंध और सोंस्कार की दौड में इतना हपछड गए हैं| हक माों-बाप की ही नही ों

बेहटयोों को भी इस धरती पर बोझ मानने लगे हैं| हम सबकी हजोंदगी में नारी

का बहुत अहधक अहम हकरदार है| उसके हबना हम अपने अक्तस्तत्व की

कल्पना भी नही ों कर सकते| हमारे समाज में नारी अपने जन्म से लेकर मृतु्य

तक अपना कतणव्य पूरी तरह हनभाती है|

➢ महहला अपने कतणव्योों में हनपुणता दिाणने के बावजूद आज के समाज में

पुरुषोों के पीछे खडी हदखाई देती हैं| पुरुष प्रधान समाज में महहला की

योग्यता को आदमी से कम देखा जाता है | महहला की हजोंदगी पुरुष की

हजोंदगी के मुकाबले काफी जहटल हो गई है| महहला को अपनी हजोंदगी का

ख्याल तो रखना ही पडता है| साथ में पूरे पररवार की हजमे्मदारी भी उसी को

सोंभालनी पडती है| महहला अपनी पूरी हजोंदगी माों, बहन, बेटी, दादी आहद

इन्ही ों ररश्तो में हनकाल देती है| इन सभी ररश्तो को हनभाने के साथ-साथ वह

(महहला) पूरी िक्ति से नौकरी भी करती है | ताहक अपना, अपने पररवार का

और अपने देि का भहवष्य उज्जवल बना सके|

➢ महहलाओों का काम करने का तरीका सोचने का तरीका आहद सब पुरुषोों से

अलग होता है | महहलाएों िारीररक (िारीररक) रूप से तथा मनोवैज्ञाहनक

तरीके से पुरुषोों के बराबर नही ों हैं| पर पुरुषोों से पीछे भी नही ों हैं उदाहरण के

तौर पर बच्ोों की देखभाल को ही ले लें भारत में महहलाओों के हलए समाज में

एक लक्ष्मण रेखा बना दी गई है| हजसे लााँगना उनके (महहलाओों) हलए

लगभग नामुमहकन है|

➢ 21वी ों सदी की बात की जाए तो आज भी महहलाओों को वे अहधकार नही ों हमले

हैं| हजनके वह हकदार हैं| आज भी महहलाओों के साथ जगह-जगह घहटया

व्यवहार हकया जाता है| उन पर हावी होने की कोहिि की जाती है| अपनी

नीचता हदखाई जाती है| पुरुष यह भूल जाते हैं| हक वो भी हकसी महहला का

ही अोंि हैं| और महहलाओों को मानहसक पीडा सहनी पडती है| लेहकन कई

जगह पर अब माहौल बदल रहा है| महहलाएों स्वयों जागरुक हो गई हैं| और

हर सामाहजक महोत्सव में ब़ि-च़िकर हहस्सा ले रही हैं| यही नही ों अब

महहलाएों राष्ट्र ीय और अोंतराणष्ट्र ीय स्तर ऊपर भी अपना और अपने देि का

नाम रोिन कर रही हैं|

Sample Copy. Not For Distribution.

Page 10: Sample Copy. Not For Distribution.नार क क्तथथहत में क 4षक समाज के हवकास और राज्योों के जम के

ix

➢ हम इस हकताब के माध्यम से कुछ ऐसी ही महहलाओों के बारे में बताने जा

रहे हैं| हजन्होोंने अपने-अपने के्षत्र में अपने-अपने पररवार अपने गाोंव (िहर )

के्षत्र और सबसे ब़िकर अपने देि का नाम रोिन हकया है| हफर चाहे वह

राजनीहतक के्षत्र से हो, हसनेमा जगत से हो, खेल की दुहनया से हो, या हफर

कोई व्यवसाहयक महहला हो इन सभी में से हकसी भी महहला ने अपनी

हजमे्मदारी से मुोंह नही ों मोडा है | ऐसी बेहटयोों पर इस देि को गवण है|

Sample Copy. Not For Distribution.

Page 11: Sample Copy. Not For Distribution.नार क क्तथथहत में क 4षक समाज के हवकास और राज्योों के जम के

x

विषय सूची

(d) खिलाडी मविलाएं

क्र. खखलाडी मविलाएं पेज सं.

1 अोंजहल भागवत 1

2 हमताली राज 7

3 गीता फोगाट 12

4 एम.सी. मैरीकॉम 16

5 साइनी इब्राहहम हवलसन 21

6 साइना नेहवाल 25

([k) विल्मी मविलाएं

क्र. विल्मी मविलाएं पेज सं.

1 आिा भोोंसले 31

2 लता मोंगेिकर 37

3 सुहनहध चौहान 42

4 ऐश्वयाण राय बच्न 46

5 रेखा गणेिन 51

6 मीना कुमारी 56

(x) खिलाडी मविलाएं

क्र. व्यािसावयक मविलाएं पेज सं.

1 वोंदना लूथरा 63

2 हिखा िमाण 67

3 चोंदा कोचर 72

4 हकरण मजूमदार 76

5 नीता अोंबानी 83

6 िहनाज हुसैन 89

7 इोंहदरा कृष्णमूहतण नई 93

Sample Copy. Not For Distribution.

Page 12: Sample Copy. Not For Distribution.नार क क्तथथहत में क 4षक समाज के हवकास और राज्योों के जम के

xi

(घ) राजनीविक मविलाएं

क्र. राजनीविक मविलाएं पेज सं.

1 इोंहदरा गाोंधी 98

2 िीला दीहक्षत 105

3 सृ्महत जुहबन ईरानी 111

4 सुषमा स्वराज 114

(M) कलाकार मविलाएं

क्र. कलाकार मविलाएं पेज सं.

1 अोंजहल इला मेनन 119

2 अनीता दुबे 125

3 रीना सैनी कललाट 130

Sample Copy. Not For Distribution.

Page 13: Sample Copy. Not For Distribution.नार क क्तथथहत में क 4षक समाज के हवकास और राज्योों के जम के

xii

Sample Copy. Not For Distribution.

Page 14: Sample Copy. Not For Distribution.नार क क्तथथहत में क 4षक समाज के हवकास और राज्योों के जम के

नारी आत्महवश्वास

1

(क.) खखलाडी मविलाऐ

1. अंजवल भागिि

हम आप सभी को एक ऐसी िक्तससयत के बारे में बताने जा रहे हैं हजसने

अपने कैररयर को बनाने में पूरी जी जान से मेहनत की और सभी प्रकार की

मुक्तिलोों का सामना करते हुए अपने कैररयर को बनाया उस िक्तससयत का

नाम है 'अोंजली भागवत'

अंजवल भागिि का जीिन पररचय:-

अोंजहल भागवत का जन्म 5 हदसोंबर को सन 1969 ई.में मुोंबई महाराष्ट्र में हुआ

था!अोंजहल भागवत हजसका पूरा नाम अोंजली वेद पाठक भागवत है उन्होोंने

सन 2002 ई.के मानचेस्टर राष्ट्र मोंडल खेलोों में अनेकोों पदक जीतकर धूम

मचा दी थी|

वह इन खेलोों में व्यक्तिगत व पेयर स्पधाणओों में चार स्वणण पदक जीतकर

सुक्तखणयोों में आ गई! उसे वषण सन् 2000 ई.में 'अजुणन पुरस्कार' हदया गया! और

2002 के राष्ट्र मोंडल खेलोों की उपलक्तियोों के हलए वषण 2003 में 'राजीव गाोंधी'

खेल रत्न पुरस्कार हदया गया!

यह पुरस्कार उसे हबना मोल के साथ सोंयुि रुप से प्राप्त हुआ ! इसके

अहतररि उसे छत्रपहत पुरस्कार महाराष्ट्र गौरव पुरस्कार तथा महाराष्ट्र

प्रहतहष्ठत पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं अोंजहल भागवत ने अपने कैररयर में बहुत

सारे इनाम जीते हैं !अोंजहल भागवत ने अपनी िूहटोंग कररयर की िुरुआत

उसका पूवण नाम अोंजली वेद पाठक है उस ने छात्रा के रूप में कैं डेट बनकर

ही महाराष्ट्र राइफल एसोहसएिन में थथान पाया!

उसके पश्चात उसने कभी पीछे मुडकर नही ों देखा! मुोंबई के कीहतण

कॉलेज के एनसीसी के कैं डेट के रुप मे की!अोंजहल िूहटोंग के के्षत्र में

अक्समात आई एक बार उसे अचानक कीहतण कॉलेज में प़िते समय

Sample Copy. Not For Distribution.

Page 15: Sample Copy. Not For Distribution.नार क क्तथथहत में क 4षक समाज के हवकास और राज्योों के जम के

पिन के.भाटी

2

एन.सी.सी. की इोंटर कॉहलहजएट िूहटोंग प्रहतयोहगता में भाग लेना पडा !

क्ोोंहक उसमें भाग लेने वाली सू्कल की कैडेट बीमार पड गयी थी!चूहकों

अोंजहल जूडो कराटे में ग्रीन बेल्ट थी ों और पवणतारोहण में सहिय छात्रा थी ों!अत:

उसे उसके थथान पर भाग लेने को कहा गया!प्रारोंभ में अोंजहल ने मना हकया !

परों तु उसे भाग लेना पडा! उसके हनिाने एक-एक करके चूकते गए वह

भी इोंचो के आधार पर नही ों मीटर की दूरी पर!अोंजहल भागवत को वहाों से

जाते हुए देखा तो महाराष्ट्र राइफल एसोहसएिन के अध्यक्ष बी बी राम ने उसे

देखा और कुछ समझाते हुए कहा हक ऐसे हार नही ों माननी चाहहए ! क्ोोंहक

जो बहुत ही जल्दी हार मान जाते हैं ऐसे लोग अपनी हजोंदगी में आगे कभी भी

नही ों ब़ि पाते और ये सब समझाते हुए बी बी. राम ने अोंजहल भागवत को

समझाते हुए कहा हक तुम को दोबारा कोहिि करनी चाहहए!और अोंजहल

भागवत के समझ में यह सब कुछ आया और अपने कैररयर को बनाने के

हलए उन्होोंने हफर से कोहिि की! दरअसल राज्य की टीम में कुछ महहलाओों

की आवश्यकता थी!

दूसरे थथानोों पर घूमने की लालसा में अोंजहल भागवत ने िूहटोंग में भाग

लेना िुरू कर हदया ! और नए समूह में िाहमल हो गयी!दस ही हदनोों में

अोंजहल भागवत ने कुछ कुछ सीख हलया! और कुछ ही हदनोों में उन्होोंने रजत

पदक जीत हलया! इस से ही अोंजहल भागवत का हौसला ब़िा! और उन्होोंने

िूहटोंग नही ों छोडने का फैसला हलया! बस यही ों से भारत की िूहटोंग स्टार

अोंजली वेद पाठक का जन्म हुआ!

सन 1988ई. में अोंजहल भागवत ने अहमदाबाद में होने वाले राष्ट्र ीय खेलोों

में भाग हलया! सन 1998 तथा 2001 ई. में अोंजहल भागवत ने कॉमनवेल्थ

खेलोों में स्वणण पदक प्राप्त हकए! उसकी सफलता का शे्रय उसके कोचो को

जाता है! कोच सोंजय चिवती तथा होंगेररयन कोच लेसलोेे सुजाक ने अोंजहल

भागवत को खेल की बारीहकयाों हसखा कर उसे सफलता हदलायी|

अोंजहल ने अपनी सफलता के हलए कडी मेहनत की थी!मुोंबई के अोंधेरी

के अपने घर से महाराष्ट्र राइफल एसोहसएिन वली तक आने जाने में यात्रा में

लोंबा समय हबताया करती थी ों!वे याद करती हैं उन को जब छह

प्रहतयोहगताओों को एक ही राइफल से काम चलाना पडता था!

वे कहती ों हैं लेहकन यह सब तो मामूली सी बातें हैं योग तथा आत्ममोंथन

के बाद आपको िूहटोंग के बाद अपने आस पास की कोई चीज याद नही ों

Sample Copy. Not For Distribution.

Page 16: Sample Copy. Not For Distribution.नार क क्तथथहत में क 4षक समाज के हवकास और राज्योों के जम के

नारी आत्महवश्वास

3

रहती! तब केवल आपका धयेय आपको याद रहता है सन 2000 ई. में

अोंजहल भागवत को हवश्व के नोंबर एक वरीयता क्तखलाडी चुना गया! इसके

अलावा उन्होोंने इसी साल पुरुषोों व महहलाओों के मुकाबले में जीत हाहसल

करके चैंहपयन का क्तखताब हाहसल हकया|

अोंजहल भागवत का हववाह हो चुका है उनके पहत मोंदार भागवत उनके

हर हकसी कायण में उनका सहयोग करते हैं| अोंजहल क्तखलक्तखलाकर होंसती हैं|

और होंस होंस कर ही बातें भी करते हैं |उनकी इसी अदा और उनकी सुोंदरता

को देखकर उनके घर उनके हलए हफल्मोों के ऑफर भी आए हैं|

इन सभी बातोों के बारे में पूछे जाने पर अोंजहल भागवत जवाब देती हैं हक

मलयालम हफल्म हनदेिक जयराज ने मुझे बुलाकर कहा था हक उसके पास

मेरे हलए हफल्म की क्तिप्ट है और मैंने उस बात को होंस कर टाल हदया ! मैंने

कहा हक मेरा वि बहुत ही कीमती है!मेरे पास हफल्मोों की िूहटोंग के हलए

वि नही ों है! मैं अपनी िूहटोंग में ही बहुत ही व्यस्त हों|

अोंजहल भागवत की िादी सन 2000 ई. में हुई थी|जो हक अरेंज मैररज

थी! अोंजली का कहना था हक िादी के समय मोंदार बहुत ही खुि था| हक मेरे

घरवाले मेरी खुिी में िाहमल है और मोंदार का कहना था| हक वह इसहलए

भी खुि हैं हक उसकी पत्नी 9:00 से 5:00 बजे तक नौकरी नही ों करती और

उसकी इसी खुिी की वजह से मैं भी उत्साहहत थी!हमारी तीन मुलाकातोों मे

ही हमने एक दूसरे को िादी करने के हलए हाों कह हदया!लेहकन मेरी

हकस्मत तभी मैं चैंहपयनहिप के हलए बाहर चली गई! और डे़ि महीने के बाद

लौटी तो मुझे यह डर लग रहा था हक लौटते समय एयरपोटण पर मैं मोंदार को

कैसे पहचानूगी ों वैसे तो मैं पे्रम से घर में रहती हों| और घर की सारी

हजमे्मदाररया,घर पर सभी घरेलू कामोों को बखूबी हनभाती हुों| अोंजहल भागवत

के पहत मोंदार भागवत की इच्छा थी| हक उनकी पत्नी सुक्तखणयोों में छाई

रहे!और हमारे देि का नाम रोिन करें |

उनके पहत मोंदार भागवत हक यह अच्छा इतनी अच्छी थी हक ऐसा सभी

पुरुष नही ों सोचते ऐसा भी हकसी हकसी के पहत ही सोचते है!उनके पहत मोंदार

की इच्छा से अोंजहल भागवत का हौसला और भी बुलोंद हो गया और वह और

भी ऊों चाइयोों को छूने की कोहिि करने लगी!अोंजहल भागवत कें द्रीय

औद्योहगक सुरक्षा बल में खेल कोटे के अोंतगणत इोंसे्पक्टर पद पर कायणरत हैं

Sample Copy. Not For Distribution.

Page 17: Sample Copy. Not For Distribution.नार क क्तथथहत में क 4षक समाज के हवकास और राज्योों के जम के

पिन के.भाटी

4

!अोंजहल भागवत को अपने ऊपर यह हवश्वास है हक हिकेट की तरह ही एक

हदन िूहटोंग का खेल भी दिणकोों में लोकहप्रय होगा|

अोंजहल भागवत ने बताया हक अोंतरराष्ट्र ीय स्तर पर हर िूटर का अपना

कोच, मनोवैज्ञाहनक व मैनेजर होता है जो क्तखलाडी की हर आवश्यकता का

ध्यान रखता है! इससे क्तखलाडी को आगे ब़िने में बहुत मदद हमलती है

क्ोोंहक हमें ऐसी कोई सहहलयत नही ों हमलती!अत:हमारी सफलता बहुत

मेहनत से हमली सफलता होती है मुझे आज भी याद है मू्यहनख में मेरा

पासपोटण गुम हो गया था! तब भी चैंहपयन ऑफ चैंहपयोंस टूनाणमेंट में मैंने टॉप

हकया था|

सन 2000 ई.में हसडनी के ओलोंहपक में फाइनल में जगह बनाने वाली

अोंजहल पहली महहला िूटर है!फाइनल में 8 प्रहतयोहगयोों के बीच वह केवल

493.1 अोंक बनाकर अोंहतम थथान पर रही ों|

अोंजहल भागवत, जो देखने में क्तखलाडी कम और फैिन मॉडल ज्यादा

लगती हैं, उन्होोंने बताया हक "मेरे हलए यह बहुत मेहनत और त्याग का समय

रहा! जब मैं अपने कररयर पर नजर डालती हों तो लगता है हक भगवान का

िुि है हक मैं आगे ब़िती रही! हमारा बैच भारत में प्रथम िूटर बैच था!अतः

हमारे कोच सोंजय चिवती ने सब तरह के नुसे्ख हम लोगोों पर आजमाएों !हफर

होंगरी के कोच लैसलो हसजाक ने आकर हमारी तकदीर बदल दी!" वे

हनयहमत रूप से योग अभ्यास, मानहसक व्यायाम, स्वाथथ सोंबोंधी व्यायाम व

िूहटोंग अभ्यास करती हैं !वह स्त्री होने पर गवण महसूस करती हैं!

अोंजहल भागवत का कहना है हक "राइफल िूहटोंग एक हदमागी खेल है

और आपकी सफलता मुख्य रूप से आप के मनोवैज्ञाहनक सोंतुलन पर हनभणर

करती है"!

वनशानेबाजी शूवटंग के खेल में दो िगग िोिे िैं-

हपस्टल(छोटी बैरल)राइफल (लोंबी बैरल)! यह स्पधाण पुरुष एवों महहला वगण की

होती है!

िीन िरि से वनशानेबाजी की जािी िै-

१. खडे होकर,

Sample Copy. Not For Distribution.

Page 18: Sample Copy. Not For Distribution.नार क क्तथथहत में क 4षक समाज के हवकास और राज्योों के जम के

Get Complete Book At Educreation Store

www.educreation.in

Sample Copy. Not For Distribution.

Page 19: Sample Copy. Not For Distribution.नार क क्तथथहत में क 4षक समाज के हवकास और राज्योों के जम के

Sample Copy. Not For Distribution.